अमन प्रतापगढ़ी   (♥️______✍️Aman)
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ख़ामोश जज़्बातों का शोर है शायरी....
Joined 18 June 2020


ख़ामोश जज़्बातों का शोर है शायरी....
Joined 18 June 2020

बहोत प्यार था मुझसे , तुम ये "झूठ" कहते थे,
मेरा अख़्तियार था तुमपे ,तुम ये झूठ कहते थे।

टूट कर चाहा मैंने,और चाह कर फिर टूट गया,
बिखरने नही दोगे मुझे, तुम ये झूठ कहते थे।

"राज" परदों में छिपा कर, मिलते रहे हर वक्त,
तुम्हारे दिल में सिर्फ मैं हूं ,तुम ये झूठ कहते थे।

मेरी कब्र से गुजरते हो,रोज किसीसे लिपटे तुम,
बगैर तुम्हारे जी न सकेंगे, तुम ये झूठ कहते थे।

कहा था छोड़कर चले जायेंगे, "अमन" एकदिन,
और मैं पागल,समझता रहा,तुम ये झूठ कहते थे।

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किसी को खोते...
किसी और का होते भी देखा है मैने।

मगर कोई पास हो ...
और दूर लगने लगे तो दर्द बहोत होता है।।

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पता हो सच,फिर झूठा दिखावा अच्छा नही लगता,
फरेबी जिस्म पर,सादा पहनावा अच्छा नही लगता।
शक था कदमो की ताकत पर तो राहें आसान चुनते,
ज़रा सा चल के,रास्तों पे पछतावा अच्छा नही लगता।

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चाहते हो न, कि फ़र्क़ पड़ना बंद हो जाए,
सोना औरों की तरह अकल्मन्द हो जाए।
कोई बात नहीं, कह कर हर बात भुला दे,
अपनी जलन,अपने गुस्से को यूँही सुला दे।
जो तुमको "पसंद" हो ,सिर्फ वही बात करे,
सिर्फ "प्यारी प्यारी बातें" ही दिन रात करे।
सीख जाए ये "दुनियादारी" औरों की तरह,
चेहरे पे "कई चेहरे" लगा ले,औरों की तरह।
क्यों एक ही बात को, हर बार दोहराता है,
है तकलीफ तो क्यूं नही छोड़ चला जाता है।
मेरे जाने से, सोना बिखर थोड़े ही जाएगा,
मै ना रही अगर ,तो ये मर थोड़े ही जाएगा।
सच कहती हो जान,शायद मेरी ही खामी है,
खुशियां छीनना तुम्हारी,यही मेरी नाकामी है।
सब्र रखना,खुशियां आएँगी,सब सुधर जाएगा,
चाहती हो न सोना बदल जाए,बदल जाएगा।
बहोत सी बातों से फ़र्क़ पड़ना बंद हो जाएगा,
धीरे सही,तुम्हारा सोना अकलमंद हो जाएगा।

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ये जो बदले बदले से हो, वजह क्या है,
तेरा लहजा बता रहा,मेरी जगह क्या है।

कंही और सुकून है तुम्हे,अच्छी बात है,
मगर जो दर्द मेरे सीने मे है,चुभा क्या है।

तुम कश्मकश मे अब् भी रास्तों को लेकर,
और मेरे पास,सिवा तुम्हारे बचा क्या है।

एक दुनिया बना ली थी मैने,इर्द गिर्द तुम्हारे,
तुमने समझाया,असल मे ये दुनिया क्या है।

सब सहा मैने,चाहे दिल कितना भी रोया,
तुम समझे नहीं कभी,दिल मे दुखा क्या है।

कैसे सम्हालता हूँ खुद को, सहता हूँ कैसे,
क्या जानो तुम,आखिर तुम्हे पता क्या है।

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कह लो हुनर , ये जो खुशमिजाजी है मेरी,
हर "दर्द" को,अपनी मुस्कुराहट से मारा है।
तुम क्या जानोगे , हद "बर्दास्त" करने की,
मर जाने जैसा वक़्त,मैने "जी" के गुज़ारा है।


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जाने क्या समझ रहे,तुम खामोशी को मेरी..
जो समझा होगा,मेरी बातों से बेहतर होगा।
थक जाते हो जवाब देते देते मेरे सवालों का,
इस लिए चुप रहना ,सवालों से बेहतर होगा।

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क्या अच्छा नहीं लग रहा,अब तुम्हे ये साथ मेरा,
या अपनी हथेलियों मे ,थामा हुआ ये हाथ मेरा।
ख्याल नही आता,या वक़्त सच मे मिलता नहीं,
या देखके मुझे,चेहरा तुम्हारा अब खिलता नहीं।
मेरी बातें , मेरा साथ तुमको अब सताने लगा है,
या किसी का ख्याल,मुझसे ज्यादा आने लगा है।
आँखों का पानी नही,चेहरे की मुस्कान बनना है,
तुम्हे ज़िंदगी बनानी है,तुम्हारा अरमान बनना है।
तुम्हे जाने दूँगा, ऐसी सोच भी दिल से हटा देना,
जब दिल भर जाये मेरी जान, हमी से बता देना।।
कुछ नही कहूंगा, न रोकर प्यार का वास्ता दूंगा,
तुम छोड़कर खुश अगर,मै भी हंस के रास्ता दूंगा।

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खुश रहे तू सदा ,मेरी "दुआ" बस यही है,
अपनी खुशियों की "फ़िकर्" अब नहीं है।

कुछ कोशिशें की थीं,जो नाकाम ही रहीं,
और कोशिशों का, मेरा मन अब नहीं है।

दुःखने लगी थी तेरी कलाई, छोड़ दी मैने,
दूसरा कोई पास मेरे, जतन अब नहीं है।

आँखों मे ,"दर्द" सा दिखता रहा होगा न!
देखना गौर से,माथे पे शिकन अब नहीं है।

वो ज़िद्द बच्चों सी,हर बार रूठ जाना मेरा,
गुजर गया वक़्त,वो लड़कपन अब नहीं है।

जलन थी,फ़िक्र भी, किसी अपने के लिए,
वो शख्स है,मगर वो अपनापन अब नहीं है।

साथ मिलेगी खुशियां , या बाद मेरे सुकून ,
आने लगा सब समझ,उलझन अब नहीं है।

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न 'गुस्सा' समझता है ,न 'प्यार' समझता है,
न 'ज़िद्द' समझता है ,न तकरार समझता है।
सताता हूँ कि वो लड़ के ही सही, खुश हो ले,
मगर मेरा यार,मुझे गलत हरबार समझता है।

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