क्या बताऊ ज़िंदगी, मुझे मिलता दुख बोहोत है,
कभी गैरों का दिया ज़ख़्म जलता है,
तो कभी अपनों की कही दो बात चूभती है,
कभी डर सताता है, भीड़ में खोने का,
तो कभी सबसे अलग होने की बात लगती है,
होंगे हज़ारो मुझसे भी, और उनकी भी यही कहानी है..
क्यों आँखे मैं बंद कर लूं, आँसुओ को अपने कम कर लूं,
मैं तो अपना ही था न सबसे,
फिर क्यों लोगो ने मुझे अलग कर दिया,
मेरी तरफ देखने का तो,
दुनिया ने नज़रिया बदल लिया...😕🤷🏻♂️
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