अब प्रमोशन दिल को बहलाता नहीं
इंक्रिमेंट अब कोई भी भाता नहीं।
बॉस के चमचे सब आगे बढ़ गए
पॉलिटिक्स से अब मैं घबराता नहीं।
एक्सपर्ट एडवाइस ले के थक गया
राह कोई ठीक दिखलाता नहीं।
हो चुका करियर तो चौपट दोस्तो
हौसला छोड़ा मगर जाता नहीं।
रह गया करना ही बाक़ी स्टार्ट-अप
कोई वी.सी. फ़ंड दिलवाता नहीं।
ख़ामियों के कुछ सिवा अंदर मेरे
वाइफ़ को अच्छा नज़र आता नहीं।
महफ़िलों में फ़्लॉप होता है मगर
शायरी से 'अमित' बाज़ आता नहीं।
-अमिताभ सक्सेना
-