छोड़कर मत जाना
रात में यशोधरा की तरह
संसार को राह दिखाने,
चुपचाप बुद्ध की तरह।।।
ना लक्ष्मण के जैसे,,
भ्रातृ प्रेम में वन गमन।।
उर्मिला की लंबी विरह ,
उपेक्षित हो जीवन।।।
ले चलना साथ मुझे,,,
नहीं अवरोधक तुम्हारे मग में,,
संग कांटों पर चलेंगे,,
सहचरी हूं दुख बांट लेंगे।
स्वयं संन्यासी बनकर
गृह त्यागी ना बनना।।।
साथ रहने का वचन लेकर,,
उस वचन से न मुकरना।।
मुझे छोड़ कर मत जाना।।
-