आज स्कूल का आखिरी दिन,,,
ग्रीष्मावकाश का प्रारंभ है।।
फिर आएंगे अपनी कर्मभूमि,,
यायावर अभी सफर में है।।।-
कलम भी उठाया तो परोपकार ही लिखा,,,,
ऐ कलम तू लिप्सा में कभी खुदगर्ज न बनना।।-
कहने को हो निःशब्द,,
बोलते है तुम्हारे हर शब्द।
मन में उदासी तुम्हारी,,
अश्रु से भींगे हर शब्द।।
ये शब्द बेजुबान नहीं,,,
पढ़कर समझते हैं मर्मज्ञ।
लाख छिपाओ भाव तुम,,
कहानी कहते हैं शब्द।।-
अपने तक ही सीमित जीवन कहा रहता है,,,,
जो मिला सफर में रिश्ता निभाना पड़ता है।।।
परिवार के मायने चारदीवारी तक सीमित नहीं,,
कर्मकारों का भी क़र्ज़ हमें चुकाना पड़ता है।।।-
छः बजे से फ्लाइट मोड पर रहेंगे,,
जाना कहां पायलट तय करेंगे।।।
,😀😀😀😀😀😀😀😀😀-
कहते हो मुझे अपनी प्राथमिकता चुनो,,
आज पहली प्राथमिकता तुम्हें चुनते हैं।।
तुम हो पास तो सारा जहां है मेरे साथ,,
अपने प्रथम चुनाव पर विचार करते हैं।।
जीवन का सफर बहुत लंबा है यायावर,,
पकड़ लो तर्जनी साथ साथ चलते हैं।।
कहीं छूट न जाए पकड़ा हाथ तुम्हारा,,,
विश्वास की गांठ से मजबूती से बांधते हैं।।
देखो इन हाथों से रिश्ते सैकत से फिसल गए,,
चल सके दो कदम खुदा से मोहलत मांग लेते हैं।
तुम साथ हो मेरे किसी की दरकार नहीं अरु,,,
चातक की तरह स्वाति नक्षत्र का बूंद ही पीते हैं।।-
कारण जो भी हों मोहतरमा बहुत खूब लिखते हैं,,,
कागज पर सुनहरे ख्वाब पढ़कर पाठक डूब जाते हैं।-
जब भी मैं जीवन की परीक्षा देती हूं,,
हाथ में कलम बस उत्तरपुस्तिका देखती हूं।
वातायन से झांकने की फुरसत किसे है।।
प्रभु के चरणों का हमेशा ध्यान रखती हूं।।-
अगर किरदार न बनते तो कहानी में नहीं आते,,,
तुम्हें याद रखा है उसने कहानी का पात्र बनाकर।।-