amit yadav   (amit yadav)
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Joined 31 January 2018


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20 AUG 2021 AT 22:18

बस एक कहानी ही तो है....
पूरी रचना अनुशीर्षक में पढें🙏🙏

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25 OCT 2020 AT 22:50


जो था तेरा वो हमेशा तेरा ही रहे
ऐसी तू फरियाद ना किया कर,
ये हिच्कियां मुझे सोने नहीं देती
तू इतना भी मुझे याद ना किया कर!

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2 AUG 2020 AT 0:18

भूल जाना बे-हिस ज़बान को पल में ,
के कोई गिला अज़ल तक तस्कीन-ए-दिल नहीं होता।

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22 JUL 2020 AT 22:38

धरा के सिकंदर तो रहे हैं बहुत,
तू हाकिम-ए-दिल बने तो कोई बात हो।

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19 JUL 2020 AT 14:45

भूल गए या याद हूं
मैं तुम्हारा ही तो ख्वाब हूं !
(पूरी रचना अनुशीर्षक में पढें)

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24 JUN 2020 AT 20:01

बहुत हँस रहा है वो
पर उसकी मुस्कान उदास सी लगती है ,
ज़रा अपनेपन से पूछो उसे
मन में दबी उसके कहीं कोई बात तो नहीं है ।
सुबह सा खिलखिलाता है मगर
आँखें शाम सी लगती हैं ,
एक बार झाँक के देखो उनमें
कहीं वहाँ कोई सूखा हुआ सैलाब तो नहीं है ।
चहक के मिलता है सबसे
फिर भी खोया खोया सा लगता है ,
चलो पता करो ज़रा
कहीं शुन्य में डुबा उसका मन वीरान तो नहीं है ।
कहने को तो हैं साथ बहुत उसके
पर क्या सच में कोई साथी है ,
तो ज़रा टटोलो उसके दिल को
मन की बस्ती उसकी कहीं सुनसान तो नहीं है ।
बेवजह हंसता रहता है बहुत
और सबको हँसाता भी है ,
तुम भी कभी पूछ लो उस से
उस हसीं के पीछे कहीं वो परेशान तो नहीं है।
कहीं वो परेशान तो नहीं है।।

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1 NOV 2019 AT 0:21

तुम्हें बोलने वाली हर बात खामोश रह गई ,
जज़्बातों को अल्फाज़ो का सहारा जो ना मिला।

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22 OCT 2019 AT 15:28

आ फिर एक शाम के लिए आ,
बचे हैं जो तेरे वो बाकी निशान ले जा।
अकेला हूँ फिर भी तेरा अक्स सा लगता हूँ,
खुद को ही खुद कोई और शख्स सा लगता हूँ,
मेरी आँखों में जो बसी है तेरी वो पहचान ले जा,
आ फिर एक शाम के लिए आ,
बचे हैं जो तेरे वो बाकी निशान ले जा।
लब मुस्कुराते हैं लेकिन मैं आँखों से भी हँसना चाहता हूँ,
बस एक बार फिर बेखौफ़ बेपरवाह खिलखिलाना चाहता हूँ,
तेरी सौगात ये उदासी भरी मुस्कान ले जा,
आ फिर एक शाम के लिए आ,
बचे हैं जो तेरे वो बाकी निशान ले जा।

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22 AUG 2019 AT 20:45

अभी कहाँ आया है हमें जीने का सलिका
बस तजुर्बों से तजुर्बा लिये जा रहे हैं।

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22 AUG 2019 AT 19:02

आईने में खड़ा वो अजनबी सा शख्स
पूछ रहा है तदबीर मुझे मुझसे मिलाने की ।

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