Amit Tiwary   (अमित तिवारी)
253 Followers · 8 Following

आवारा.. आज़ाद.. गुस्ताख़..! 😎
Joined 3 December 2016


आवारा.. आज़ाद.. गुस्ताख़..! 😎
Joined 3 December 2016
28 FEB 2021 AT 21:19

"वहाँ इतना अँधेरा था
कि हाथ को हाथ नहीं सूझता था
किसी का भी हाथ!
अँधेरे में हाथ खोजना
एक बचकानी क्रिया है
अँधेरे में आग खोजना चाहिए
थोड़ी-सी ही मिले
बहुत भीतर ही मिले
पर आग की तरफ़ बढ़ना चाहिए
आग लेकर बढ़ना चाहिए
हाथ की तरफ़."

-


9 OCT 2019 AT 9:11

" कैसी दिखती थी
पहाड़-सी ठंडी और संयमित
कितने हल्के स्पर्श से
भरभरा कर बिखर जाती थी."

-


12 SEP 2019 AT 18:37

"हमारे हाथ
आपस में गुंथे हुए थे
उस रस्सी की तरह
जिसके सहारे नदी में उतरा आदमी
भय से विमुक्त होकर
लगा लेता है डुबकियां."

-


18 AUG 2019 AT 21:03

"मेरे गांव में ज्यादा लोग नहीं आते
शाम से ही इसके प्रवेश द्वार पर
एक मूंगफली वाला खड़ा रहता है
खोमचे पर ढिबरी जलाए हुए
रुक-रुक कर किसी दिशा से
एक साइकिल आती है
और ढिबरी की लौ
थोड़ी मुलायम होकर झूम जाती है
पूरा गांव उचक कर देखता है
जैसे वृद्धाश्रम में आया हो लिफ़ाफ़ा
और वैसे ही निराश हो जाते हैं
सब एक साथ
सब वैसे ही फ़िर दुआर ताकने लगते हैं
ढिबरी फ़िर तन कर खड़ी हो जाती है
थोड़ी देर बाद फ़िर आती है
कोई जानी पहचानी साइकिल
और गाँव में फ़िर से कोई आया नहीं होता."

-


14 AUG 2019 AT 9:57

"मैं अपने ऐबों के लिए उत्तरदायी नहीं हूं
इनके लिए दोषी हैं वे स्त्रियाँ
जिन्होंने मुझे बार-बार बुरा कहा
और फ़िर अरअराकर चूम लिया."

-


8 AUG 2019 AT 22:32

"मैं कपास के बीज की तरह
अपनी जड़ों से छूटा
और पहाड़ जंगल नदी फांदता हुआ
अवांछित विज्ञापन की तरह
शहर की एक चौहद्दी पर जा टंका हूँ
अब मुझे भय होता है
शरीर झाड़ कर खड़ा होने में
थोड़ी देर सुस्ता लेने में
या रेशा भर उग आने में भी
यहाँ सूख ही नहीं पाता
मेरी भयाक्रांत गंवई देह का पसीना
तिस पर इस शहर की नाक तेज़ है
इस शहर को बहुत भूख लगती है
ये शहर विस्थापितों को निगल जाता है."

-


6 JUL 2019 AT 15:23

"कैसे कह सकते हो तुम
कि वो शहर तुम्हारा है
वो प्रेमिका है तुम्हारी
अगर घुप्प अंधेरी रातों में
उसके मादक मोड़ नहीं देखे
पसीने से तर सुबहों में भी
तुमने उसे लिपटकर नहीं चूमा
अगर हवा में बह आयी गन्ध से
तुम नहीं जान पाते
कि अभी, बिल्कुल अभी
पास में कहीं मर गयी है
शहर की सबसे दुलारी चिड़िया...
कैसे कह सकते हो तुम!"

-


4 JUL 2019 AT 13:25

"पीड़ा गालों पर आ बसती है
और प्रेम रिसता रहता है
उंगलियों के पोरों से
इसका विपरीत होना चाहिए था
हमने अभिव्यक्तियों के गलत रास्ते चुने हैं."

-


29 JUN 2019 AT 20:04

Everyone,
who keeps checking up
on your dreams,
even with compassion,
is not yours..
Beware darling,
some are masqueraded hynas
waiting for your soul to die away.

-


28 JUN 2019 AT 14:23

"परिभाषा के तौर पर मैं
इतिहास हूँ
स्थगित आत्महत्याओं का."

-


Fetching Amit Tiwary Quotes