Amit Thakur   (अमित "preetam")
332 Followers · 308 Following

बाद में unfollow करने के लिए पहले follow ना करें..
Joined 24 March 2019


बाद में unfollow करने के लिए पहले follow ना करें..
Joined 24 March 2019
27 FEB 2021 AT 21:26

सफरनामा -175
1.ये लम्हे गर्दिश के यूँ ही गुज़र जाएंगे,
शीशे के ख्वाब सारे यूँ ही बिखर जाएंगे ,

2.ये रात खत्म भी होगी कभी
ये सितारे भी लौट कर घर जाएंगे,

3.कोई खोल कर आज़ाद कर दे इनको
वरना परिंदे पिंजरों में मर जाएंगे ,

4.कहते हैं लोग, वक़्त ज़ख्म भरता है सबके,
मुझको लगता है, मेरे भी भर जाएंगे,

5.मुझसे बहुत दूर जा रहे हैं यार मेरे,
सोचता हूँ आवाज़ दूँ, शायद ठहर जाएंगे,

6.और गया नहीं कहीं , मैं यहीं हूँ "प्रीतम",
तुम आँखे बंद करना , मेरे साये नज़र आएंगे।

अमित "प्रीतम"




-


17 FEB 2021 AT 22:04

सफरनामा -174
ख़्वाबों से बढ़कर भी कोई अज़ाब है क्या ?
मैं कौन हूं, किस हाल में हूँ,
खुदाया....इसका कोई जवाब है क्या?
सुना है तू हँसने वालों की खबर रखता है,
पर रोते भी हैं तो कितने यहाँ,
इसका कोई हिसाब है क्या?
ख़्वाबों से बढ़कर भी कोई अज़ाब है क्या ?

-


12 AUG 2020 AT 15:05

सफरनामा -173
1.क्यूँ इतना मुश्किल है ये मंज़िल का सफर,
क्यूँ सारे ख्वाब हक़ीक़त से दूर हैं,

2.क्यूँ रस्मों के बंधन ने घेरा है तुमको ,
क्यूँ मेरे हालात भी मजबूर हैं,

3.क्यूँ सही हो कर भी गलत हैं हम,
क्यूँ ज़माना गलत हो कर भी बेकसूर है,

4.क्यूँ ये शब-ए-हिज़्र गुज़रती नहीं है,
क्यूँ तेरी ख्वाहिशें मुझमें मरती नहीं है,

5.मुझको तो अरसा बिताना है तेरे बिन,
एक शाम है कमबख्त गुजरती नहीं है..

-


8 AUG 2020 AT 18:34

सफरनामा-172

ये फिर हुआ है धुआं-धुआं सा,
पड़ोस में आखिर क्या चल रहा है?
ओह्ह! जानकर खुशी हुई,
रक़ीब का घर जल रहा है..

-


30 JUN 2020 AT 22:11

सफरनामा--171
1.तू चाँद सी मुकम्मल कोई ताबीर है जानाँ,
किसी के मन की आखों की तसवीर है जानाँ

2.मैं चाह कर भी तुझ तक पहुँच पाऊँ ना,
अनदेखी सी दरम्यां अपने इक लकीर है जानाँ,

3.तू पास होकर भी ख्वाबों से दूर है मेरे,
आसमाँ वाले कि इसमें कोई तदबीर है जानाँ,

4.आज-कल मेरे जिस्म से बनने लगे हैं साये तेरे,
मुझ पर कुछ यूं तेरी, उल्फत-ए-तासीर है जानाँ,

5.और एक दरिया के दो किनारे जैसे हैं हम और तुम,
साथ चलकर भी मिलते नहीं, कुछ यही तक़दीर है जानाँ..

अमित "preetam"


-


28 JUN 2020 AT 21:28

सफरनामा-170
ये जो पराई गलियों में आज-कल ठिकाना ढूंढते हो तुम,
सच बता दो, क्यूँ हर बार नया बहाना ढूंढते हो तुम..

-


28 JUN 2020 AT 21:18

सफरनामा-169
ये तो बड़प्पन है तुम्हारा "प्रीतम"
जो खुद जख्म देकर पूछते हो,
"दर्द ज्यादा है क्या?"

-


22 JUN 2020 AT 20:37

सफरनामा--168
खरीदते-खरीदते तेरी खुशियाँ,
देख...खर्च हो गया हूँ मैं

-


8 JUN 2020 AT 20:43

सफरनामा--167
1.तेरे इक मुकम्मल साथ को तरसते रहे हम,
अक्सर बिन सावन बरसते रहे हम,

2.यूँ तो रंज कई रहे दिल-ए-दागदार को तुमसे,
फिर भी छुपाकर हर रंज, बस हॅंसते रहे हम..

3.ना हो हो सका ये हमसे कि तुम्हारे ख्वाबों को तोड़ें,
पहुँचाकर तुमको मंज़िल तक , बस भटकते रहे हम,

4.देखो तुमने भर लिया हमारी रोशनी से घर अपना,
और जलाकर तुम्हारे दामन का चिराग, अंधेरे में सिसकते रहे हम।

अमित "preetam"



-


3 JUN 2020 AT 22:13

सफरनामा-166
1.कितने अज़ाब बख्शें हैं इक शख्स ने मुझको,
फिर भी उस से कोई शिकवा-गिला नहीं होता,

2.सब कुछ तो कब का तबाह हो गया है जानां,
बस खत्म तेरी चाहतों का सिलसिला नहीं होता,

3.और मैं जानता हूँ मुझको तन्हा ही मंज़िल मिलेगी,
अकेले मुसाफिर का कोई काफिला नहीं होता ,

4.तुम मिलना मुझको जिस्मों के जहाँ से परे,
सुना है दो रूहों में कोई फासला नहीं होता,

5.गर बदल पाता तो बदल देता मैं वक़्त का लिखा,
ना जो मिलते तुम, फिर जिंदगी में कोई मसला नहीं होता..
अमित "preetam"

-


Fetching Amit Thakur Quotes