तू मेरी सुबह बन, मैं तेरी शाम हो जाऊं, तू दे प्यार इतना कि मैं तेरे नाम हो जाऊं, हमारा मज़हब अलग है पर इश्क़ तो एक ही है, आ तू मेरी दीवाली बन, मैं तेरा रमज़ान हो जाऊं।
एक्का दुक्का मेरा दुश्मनो से क्या होगा, मेरी तो लड़ाई पूरे जमाने से है। तुम्हे क्या लगता है इतनी हिम्मत मुझमे कहा से आई होगी, मैं बिहारी और मेरी वाली हरियाणे से है।।