अमित सिंह   (अमित सिंह (बागी)✍️)
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Joined 30 November 2017


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11 DEC 2021 AT 13:25

जिंदगी हर नये जख्म के बाद और आसान
लगने लगती हैं..।

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6 JAN 2021 AT 16:26

एक उमर तलाश ली हमने एक घर तलाश लिया,
जिंदगी के सुखन के लिए हमसफर तलाश लिया,
माँ बाप अब भी कच्चे मकां में रहते है इस तरह,
मानो परिंदो ने सजर को हमगुजर तलाश लिया,

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22 DEC 2020 AT 23:41

उसकी शाख पर रहकर उसे गिरा देना ,
यहाँ सब जानते है झूठ बोलना-मुस्कुरा देना,

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14 MAY 2020 AT 22:14

" वर्दी "
हमारा तुम्हारा सबका साज है वर्दी,
हर पीड़ा हर गम का इलाज है वर्दी,
मरहम भी है सूरमा है वीर भी है वर्दी
विश्वास करो तो धैर्य है धीर भी है वर्दी,


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8 MAR 2020 AT 22:56

"फौजी"
उन्हें मेहबूब की बाहों में बाहें डालना है,
हम तो पागल है साहब...!
हमे शत्रु की निगाहों में निगाहें डालना है..।।

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2 MAR 2020 AT 22:27

🇮🇳
" शहीद रतनलाल जी अमर रहे "
हम नफरतों की आंधियो के परों को तोड़ देंगे,
अहमियत राष्ट्र की बताएंगे सबको झंझोड़ देंगे,
यदि रक्त सुमन मांगती है धरती तो हिचकेंगे नही,
हम खुद को तोड़ करके भी राष्ट्र को जोड़ देंगे,

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27 FEB 2020 AT 11:58

फिर लूट रही है अस्मत माँ की,
कोई नया इजाद कर दो,
आओ फिर आजाद एक बार,
या यहीं किसी को आजाद कर दो,

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7 FEB 2020 AT 21:27

"सैनिक"
ख्वाब बिखरे भी तो समेट लाते है,
वो मिट्टी का कर्ज ऐसे भी चुकाते है,

दिया उनका भला रोशनी का क्यूँ मोहताज हो,
जो खुद अंधेरों में रहकर देश को रोशनी दिखाते है!!

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4 FEB 2020 AT 8:36

फूलों की मुरझुराहट का हिसाब कौन रखेगा,
मुहब्बत में मुहब्बत तक गुलाब कौन रखेगा,

ये पहेली है,दिखावा है,सब लुभाने के तरीके है,
बताओ भला रोशनी में आफताब कौन रखेगा,

नजर में सबके शजर है पर फिक्र किसको है,
शजर न रहा तो बच्चे फिर किताब कौन रखेगा,

रोज अंजाम यहां इल्जाम पर इल्जाम होता है,
अगर ऐसे ही रहा तो इश्क़ का ख्वाब कौन रखेगा,

फूलों की मुरझुराहट का हिसाब कौन रखेगा,
मुहब्बत में मुहब्बत तक गुलाब कौन रखेगा,

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15 JAN 2020 AT 22:40

कभी-कभी,
लगता है ये प्यार,मुहब्बत,इश्क-विश्क सब अच्छे है,
एक वो ही नही अच्छी है ,बाकी सब यार अच्छे है ।।

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