Amit Sharma   (Amit Sharma 'अक्स')
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Joined 23 December 2018


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Joined 23 December 2018
14 SEP AT 21:35

पूछता है वो कि लिखना क्यूं पसंद है? मुझे इतना।
पता भी है कि बस कागज पर ही उसे पा सकता हूं, मैं।

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18 AUG AT 23:02

मर चुके हैं मेरे दिल के शौक सारे,
इश्क़ का मारा हूं मैं, ना ज़हालत में हूं।
मुझे जान ना है तो, बैठ साथ जब मैं नशे में हूं,
ऐसे तो क्या बताऊं कि मैं किस हालत में हूं।

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11 AUG AT 20:28

The bitter cold is creeping in, and
fog's silken shroud is slowly wrapping around me.
The seasons are shifting, and
your absence now feels like an aching void.
Even the birds, as they
wing their way back home, ask about you,
and in the solitary darkness of night,
your memory whispers softly.
As I lose myself in thought,
sleep's elusive whisper claims me, but it's your memories
that torment me, not just your absence.
When morning breaks,
my eyes, heavy with sleep,
still search for your face.
Your image remains vivid in my mind,
and my desire for you stays unchanged.
Though I know it's futile, that you'll never return,
in a hidden recess of my heart,
I still hold on to the hope of waiting for you.

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3 AUG AT 21:59

तुम्हारा प्रेम कैंसर सा प्रतीत होता है,
भनक भी नही लगी, कब यह शुरू हुआ,
शुरुआत में तो सब ठीक सा ही लगता था,
फिर धीरे-धीरे पूरी तरह से मुझ पर हावी हुआ,
कोई बचने का रास्ता ही नहीं बचा,
और मैं अनजान इस रोग के बुरे प्रभावों से,
मैं मशगूल रहा, अपने ख़्वाबों में, खुशनुमा सा,
और जीने लगा भविष्य के काल्पनिक सुखद पल,
पर जैसे कैंसर तोड़ देता है जीवन के हौंसले को,
वैसे ही तुम्हारे इनकार ने तोड़ दिया मेरा प्रेम,
छीन ली मेरे जीवन की खुशियां, तोड़ दिए सपने,
और जैसे कैंसर छोड़ देता है अंत में एक मृत देह,
वैसे ही जीवंत, जिंदादिल इंसान बन जाता है लाश।
तभी कह रहा हूं तुम्हारा प्रेम कैंसर सा प्रतीत होता है।

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2 AUG AT 22:32

तुम्हारा बहुत शुक्रिया।
तुम यदि प्रेम में शर्तें न रखती,
तो मैं कभी समझ ही नहीं पाता,
माता पिता का मेरे लिए निःस्वार्थ प्रेम।

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31 JUL AT 21:47

अंधेरों ने संभाला, मेरी आंखों का दरिया,
मुझे सवेरे से अब डर लगता है,
एक चेहरे को मैंने चाहा था इतना,
अपने चेहरे से अब डर लगता है।

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30 JUL AT 22:08

मेरे दिल में बसी तेरी तस्वीर लाया हूं,
तुझे वापस लौटाने,
बदले में तू भी मेरा एक काम कर दे।
तेरे दिल के एक कोने की दीवार पर,
मेरा नाम लिखा है,
उसे मिटा डाल, मुझ पर अहसान कर दे।
मुझे उस नाम की बेबसी पर तरस आता है,
वो तिल तिल वहां मरता है, उसे आजाद कर दे।
मेरे दिल में बसी तेरी तस्वीर लाया हूं,
तुझे वापस लौटाने,
बदले में तू भी मेरा एक काम कर दे।

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26 JUL AT 21:44

How long will you linger,
In twilight's hush,
lost in shadows' sway?
In a world of faces,
infinite and wide,
find the one that's yours to stay.
Through city streets,
you've wandered,
worn by time,
and lost in gray,
If solitude's chill winds you,
seek a heart that'll be your haven,
where love will stay.

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16 JUL AT 21:57

उस से जुदा, मैं, गर हो भी जाऊ, तो कैसे जिऊं?
खुद को रत्ती रत्ती खोकर, मैंने उस को पाया है।

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15 JUL AT 21:52

मैंने जिस किसी को भी दिल से अपना माना,
उसने परखा मुझ पर, अपने खंजर का पैनापन।
एतबार ही बस नही तोड़ा गया मेरा, खुदा मेरे,
मुझको दिखला दिया गया, तेरी दुनिया का मैलापन।

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