Amit Sharma   (Amit Sharma 'अक्स')
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Joined 23 December 2018


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Joined 23 December 2018
19 APR AT 23:11

जिंदगी को कई टुकड़ों में जिया है मैंने,
मां के साथ का टुकड़ा हसीन तो न था,
पर जिंदगी में बस वो ही एक टुकड़ा था,
जिसमें कभी मेरे टुकड़े नहीं हुए।

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19 APR AT 22:38

सुना जब से कि खुदा सुनता है इंसानों की,
शैतान भी इंसानों में छिपकर, इबादतगाह में आने लगा।

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9 APR AT 21:55

किसी दरिया के दो किनारों से हो गए हैं हम,
जुदाई नसीब तो है, पर नसीब जुदाई भी नही।

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6 APR AT 21:38

तेरी यादों के मोती, गहरे छुपाने थे मुझे,
मैंने, मेरे दिल को समंदर कर लिया।

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24 MAR AT 21:12

बेमज़ा से हो गए हैं होली के रंग-ओ-गुलाल आजकल,
लोगों को वक्त बेवक्त रंग बदलने का हुनर आ गया है।

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20 MAR AT 20:35

अंधे होने की दुआ मांगता हूं,
मैं, खुदा से आज कल,
तरस खा कर ही सही मुझ पर,
कोई अपना मुझे अंधेरे में तो ना रखे।
रख भी लेगा अगर, अंधेरे में, मुझे,
तो भी तो कोई मलाल ना होगा,
नज़र ही जब ना होगी मेरे पास,
तो नजरों से गिराने का ख्याल भी ना होगा।

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19 MAR AT 20:34

बहुत खो दिया, किसी को पाने के लिए,
अब मैं सिर्फ़ खुद का होना चाहता हूं।
फिर कभी मिल ना पाऊं मैं किसी को,
कुछ इस तरह से अब, खोना चाहता हूं।

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11 MAR AT 21:10

ख़्वाब देखना गुनाह नहीं है,
ख़्वाब ही तो वो दुनिया हैं,
जहां मेरे नसीब में तुम होती हो,
और तुम्हारे आगोश में मैं।

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6 MAR AT 19:58

किताबी गणित का ज्ञान तो मुझे नहीं है साहब।
पर जिंदगी की जोड़ घटा का थोड़ा तजुर्बा ज़रुर रखता हूं।

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16 FEB AT 20:20

मुझे मरने का नही है कोई मलाल, ए दोस्त,
मेरी जिंदगी मैंने अपने तरीके से तबाह की है।

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