अपनी हस्ती को मिटा दूँ मैं तेरे जैसा हो जाऊँ,
इस तरह चाहूँ तुझे मैं तेरा हिस्सा हो जाऊँ,
दूर तक ठहरा हुआ झील का पानी हूँ मैं ,
तेरी परछाईं जो पड़ जाए तो दरिया हो जाऊँ,
शहर-दर-शहर मैंरे इश्क़ की नौबत बाजे,
मैं जहाँ जाऊँ तेरे नाम से रुस्वा हो जाऊँ,
तू ख़ुदा बन के मुझे मिल मैं फ़रिश्ता हो जाऊँ,
इस तरह माँग मुझे तू कि मैं तेरा हो जाऊँ,
-- शकील आज़मी-
हुस्न दिखाकर भला
कब हुई है मोहब्बत,
वो बस scarf लगाकर
मेरी जान ले गई..।-
प्यार कभी समझदार नहीं होता, यह हमेशा किसी खास किस्म के पागलपन से भरा होता है..... आंखें मूंद कर विश्वास करना, मर कर भी इंतजार करना..... या फ़िर अपना सुख छोड़, किसी का दुःख छीन लेने की इच्छा करना..... ये कोई समझदार कभी नहीं कर सकता।
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जिंदगी में इन कागज के टुकड़ों का
होना भी बहुत जरूरी है।
कभी कभी इनके बिना जिंदगी में
कुछ पाना बहुत मुश्किल होता है।-
किसी उदास व्यक्ति को
बेशक न हँसा पाओ,
एक बहुत उदास व्यक्ति को,
रुला देना तुम!!-
एक मुलाकात के लिए तरस गया हूं,
हसरत यही है की वो आए और,
गले से लगाले मुझे।
A. S.-
तेरी रूह की खुशबू,
मौजूद है मेरी चादर की सिलवटों में अब तक
हाँ तू आयी नहीं यहाँ कभी,
बस तेरा ख्वाब देखा था एक बार कभी यहाँ !
A. S.-
बहुत ख़ामोश होकर में उसे देखता रहा,
कहते हैं इबादत में बोला नहीं करते हैं।
A. S.-
तहजीब, अदब और सलीका भी तो कुछ है,
झुका हुआ हर शख्स बेचारा नहीं होता।-