राम तुम्हारे युग का रावण अच्छा था... दस के दस चेहरे बाहर रखता था..
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Nickname: Amvirk
Khelna,likhna,ar padhna hmari... read more
In a world of practicality,..being honest and too emotional is crime...
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कैसे कह दूं तेरा कसूर
जब था ही नहीं जिंदगी को मंजूर...
इस जन्म ये बंदिशें सही
वादा हैं किसी और जन्म हम मिलेंगे ज़रूर....-
इन आरज़ूओ से कहदो औक़ात में रहे......
......कामयाबी में हमारी अभी वक्त बाकी हैं..-
ताउम्र तेरी मोहब्बत में हम बड़ी सिद्दत से मशगूल रहे,
.....सिला मिला ये..... कि ना तू हमारी हो सकीं और ना हम किसी ओर के हो सके-
वक़्त से पहले ही नींद के आगोश में समा जाते हैं अब हम,
हररोज ख़्वाबों में मुखातिब हमसे जो होने लगे हों तुम..-
शातिराना सी ये हँसी ना होती चेहरे पे तेरे
....हो गया होता रूबरू जो ग़मों से तू मेरे
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अफसोस है आपके दिल के मरीज हम हो न पाये
और सोचकर आपके बारे में अपने दिल की भी ना सुन पाए
मजबूरियां कुछ ऐसी है तुमसे दिल लगा सकते नहीं
होंगे एक दिन इक दूजे के हम,बस खो ना जाना तुम कही
....खुशी है अधूरी ही सही मुलाकात तो हुई
और बातों बातों में कुछ जिंदगी की तो कुछ दिल की बात तो हुई
अब तो बेकरार हुआ जाता है दिल तुम्हारी एक झलक पाने को
पर समझा लेते हैं खुद को ये कहकर,
कुछ ही तो वक्त है जुदाई का फिर तो पूरी जिंदगी होगी उनमें समाने को-
बेवफ़ा सी लगने लगी है वो गलियां भी अब हमे
जहाँ नगमें मोहब्बत के कभी सुना हम करते थे-