कुछ देर और तो बैठ पास मेरे मुझे जी भरकर निहार लेने दे तेरी आँखो में देखूँ झलक प्यार की और हाथ से ज़ुल्फ़ों को संवार लेने दे यक़ीन नहीं होता इस हक़ीक़त पे मुझे सच के लिए अपने आग़ोश में आ लेने दे दुआ है मेरी ठहर जाए ये वक़्त यहीं पर सब भुला, तुझे दुनिया अपनी बना लेने दे
बिना नज़रें मिलाए ज़िक्र-ए-इश्क़ कर दिया तुझसे बिना तुझे पूछे तुझे ही चाहने लगे हम अब हाथ बढ़ाया है तो साथ भी निभाना देखो पलक झपकते ही कितने क़रीब आ गये हम
ख़्वाबों की बस्ती में हसरतों के मेले है हक़ीक़तों के आग़ोश में सब अकेले है चाहने वाले मिलते है हर गुजरते मोड़ पर नए बनते रिश्तों में ज़रूरतों के झमेले है।