मुलाक़ातों के दौर में
तुम रूहानियत की बात करते हो
अपनी ज़िद्द पे अड़ के
तुम क्या ख़ाक इश्क़ लड़ाओगे।।।-
हमने इश्क़ किया था
और तुमने सौदा
हम अभी तक निभा रहे है
और तुम करके भूल गए।
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तूने बीज़ समझ निकाल फेंका था मुझे
खाने वाली चीज़ से
देख मैं फिर खड़ा हो उठा पेड़ बनकर
तुझे लाखों फल खिलाने के लिए-
हमसफ़र भी बन जाएँगे तेरे
इन अकेली राहो में
तू मुस्कुराकर
साथ भरने की गवाही तो दे-
चलो पूरा कर देते है
इश्क़ की दास्तान को
सुना है
कुछ अधूरा रहने पर
बार-बार जनम लेना पड़ता है।-
कुछ देर और तो बैठ पास मेरे
मुझे जी भरकर निहार लेने दे
तेरी आँखो में देखूँ झलक प्यार की
और हाथ से ज़ुल्फ़ों को संवार लेने दे
यक़ीन नहीं होता इस हक़ीक़त पे मुझे
सच के लिए अपने आग़ोश में आ लेने दे
दुआ है मेरी ठहर जाए ये वक़्त यहीं पर
सब भुला, तुझे दुनिया अपनी बना लेने दे-
बिना नज़रें मिलाए
ज़िक्र-ए-इश्क़ कर दिया तुझसे
बिना तुझे पूछे
तुझे ही चाहने लगे हम
अब हाथ बढ़ाया है
तो साथ भी निभाना
देखो पलक झपकते ही
कितने क़रीब आ गये हम-
ਕਿੰਨਿਆਂ ਦੇ ਹੱਕ ਮਾਰੇ
ਕਿੰਨਿਆਂ ਨੂੰ ਲਾਏ ਲਾਰੇ
ਜਵਾਬ ਇੰਨਾਂ ਸੋਖਾਂ ਤਾਂ ਨਹੀਂ
ਕਿੰਨਿਆਂ ਦੇ ਦੁੱਖ ਤਾਰੇ
ਰੋਕੇ ਬਹਿੰਦੇ ਹੰਜੁ ਖਾਰੇ
ਹੋਣਾ ਇੰਨਾਂ ਅੋਖਾ ਵੀ ਨਹੀਂ-
ख़्वाबों की बस्ती में
हसरतों के मेले है
हक़ीक़तों के आग़ोश में
सब अकेले है
चाहने वाले मिलते है
हर गुजरते मोड़ पर
नए बनते रिश्तों में
ज़रूरतों के झमेले है।-
मेरे जैसी शख़्सियत
तुम भी बना लेते
अगर किरदारों में हमारे
फ़रक ना होता-