जहां भी खूबसूरती दिखे उसे निहारा करो,
भगवान ने बनाया है तारीफ तो किया करो ।-
फूल खिलेंगे और मुरझाएंगे
जहर या अमृत सब का मोल स्वाद तक है
अतीत और नवीन का क्या मतलब ही
चेतना आखिर क्या है हमने कब जाना ही ?
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दो वक्त की जिंदगी में आधा से ज्यादा दुःख
अपने ही बनाए होते है ।-
अपनो से दूर जाते जाते
मैं खुदा से भी दूर हो गया,
रिश्तों में इतने दरारें भढ़ा ली
के खुदा भी हर रिश्ता तोड़ लिया ।-
दरिया के लहरों पर उतराता तिनका
चुनौतियों से भिड़ गया
मगर किंचित हारा नहीं,
पर ठोकर हमें जब लगा
लड़ने का इरादा ही बदल दिया ।-
आप बहुत सुदंर हो,
ये कहने वाले बहुत मिल जाएंगे ।
आपका दिल सुदंर है,
ये कहने वाले बहुत कम ही मिलेंगे ।-
आंखों के आगे आती नजारा
कैद कर लू स्मृतियों में,
कबतक आगे बढ़ना है
ये तो कोई और तय कर रहा है,
जिदंगी में मिलेंगे बहुत से गम
कब तक संभालेंगे हम,
कड़वाहट भी और मिठास भी
सब यहीं भूल जाना है ।-
जी रहा हूं तुझमें
मुझे सीने से लगा ले,
पास हो तुम पर
इत्ती दुरियां क्यो है ?
न जाने कैसे
मेरी खुशियां तू बन गई,
मेरा सबकुछ
मेरी तकदीर तू बन गई,
ओ रब्बा प्यार कैसा नशा है
पिया बिन ये दिल बेचैन सा है ।-
इत्मिनान से खुद को सवार लो,
दुनिया को तकलीफ़ है तेरी उड़ान से ।-
आंसुओ से यादे बरस रही है जिनकी,
बहुत बेबस से है वे बस खड़े है ।
जिनपे विश्वास किया अपनो से दूर होकर
आज वे अजनबी बन भटक रहे हैं ।
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