Amit Pandey   (@€m!t)
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bekar ki baaton ka ek Afsana!!!
Joined 23 November 2019


bekar ki baaton ka ek Afsana!!!
Joined 23 November 2019
11 SEP 2020 AT 15:54

चलो इन हौसलों को आजमाएगें यहाँ,
ख्वाबों के दरम्यां बाक़ि कोई कसर नहीं।

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22 AUG 2020 AT 21:37

बातें सच्ची या कोई गफ़लत।
जानते हो कोई झूठी मोहब्बत,
या ये मान लिये सच्ची नफ़रत।

बस सिकवे तेरे दो-चार रहे,
या ये गलती मेरी मान रहे।
बस एक तेरा ही दीदार रहे,
या ये जलती मेरी जान रहे।

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21 AUG 2020 AT 23:19

अरमान कम रहे।
मंजिल दूर हो भले,
आभास हरदम रहे।।

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20 AUG 2020 AT 18:58

यादों में आते नहीं उनके,
अब इस दिल ने भी क्यु यही मान लिया?
और कहे भी क्या उनसे?,
जब सिसकियों को भूलाना सीख गया।।

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19 AUG 2020 AT 17:26

कोई छोड़ दे साथ मेरा, इसमें गजब क्या?
कौन इस दुनिया में नये आजमाये नहीं है?

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16 AUG 2020 AT 19:07

१. अपनी जरुरते कम रखें।
२. अपनी चाहत के लिए मेहनत ज्यादा करें।
३. दुसरों से उम्मीदें थोड़ा कम रखें।

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15 AUG 2020 AT 20:45

१. धर्म पर राजनीति नहीं होना चाहिए।
२. राजधर्म का अनुशरण केवल देश व राष्ट्र हित लिए हो।
३. देश में स्वच्छता का वातावरण प्रशासन, प्रकृति, परिवेश, आचार व विचार से परिलक्षित हो।

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14 AUG 2020 AT 19:38

असारों में तलखियाँ, तो बात कब की?
जो हम पर थी गुजरी, वो याद सब थी।

#गुलजार

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13 AUG 2020 AT 9:53

खुला दरवाजा और बंद ताले है,
बंद मुठ्‌ठी और मजबुत इरादे है।
थम गया मैं और झकझोरते मेरे ही वादे है,
कुदरत का लकीरों के संग खेल निराले है।

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13 AUG 2020 AT 4:52

सच बोल नहीं सकते,
तो झूठ बोल जाते?
साथ नहीं हो तुम,
तो ऐसे रुठ जाते?

झगड़ने लगे है अब खुद से,
तो कैसे ये शऊर पाते?
जरुरतें बन गयी अब तुम से,
तो कैसे ये फ़ितूर जाते?

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