चलो इन हौसलों को आजमाएगें यहाँ,
ख्वाबों के दरम्यां बाक़ि कोई कसर नहीं।-
बातें सच्ची या कोई गफ़लत।
जानते हो कोई झूठी मोहब्बत,
या ये मान लिये सच्ची नफ़रत।
बस सिकवे तेरे दो-चार रहे,
या ये गलती मेरी मान रहे।
बस एक तेरा ही दीदार रहे,
या ये जलती मेरी जान रहे।-
यादों में आते नहीं उनके,
अब इस दिल ने भी क्यु यही मान लिया?
और कहे भी क्या उनसे?,
जब सिसकियों को भूलाना सीख गया।।-
कोई छोड़ दे साथ मेरा, इसमें गजब क्या?
कौन इस दुनिया में नये आजमाये नहीं है?-
१. अपनी जरुरते कम रखें।
२. अपनी चाहत के लिए मेहनत ज्यादा करें।
३. दुसरों से उम्मीदें थोड़ा कम रखें।-
१. धर्म पर राजनीति नहीं होना चाहिए।
२. राजधर्म का अनुशरण केवल देश व राष्ट्र हित लिए हो।
३. देश में स्वच्छता का वातावरण प्रशासन, प्रकृति, परिवेश, आचार व विचार से परिलक्षित हो।-
खुला दरवाजा और बंद ताले है,
बंद मुठ्ठी और मजबुत इरादे है।
थम गया मैं और झकझोरते मेरे ही वादे है,
कुदरत का लकीरों के संग खेल निराले है।-
सच बोल नहीं सकते,
तो झूठ बोल जाते?
साथ नहीं हो तुम,
तो ऐसे रुठ जाते?
झगड़ने लगे है अब खुद से,
तो कैसे ये शऊर पाते?
जरुरतें बन गयी अब तुम से,
तो कैसे ये फ़ितूर जाते?
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