दिखावे की मोहब्बत छोड़ो, घर का बोझ उठा लो तुमसे ज्यादा उसकी इच्छायें है,
"माँ" का मतलब समझते हो.? खैर छोड़ो बुढ़ापे की लाठी बन जाना बस यहीं दुआएं है..।।
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✍️लेखक हूँ✍️
मुझे एक दर्पण समझना यारों जैसा मै सामने दिखता हु... read more
दिखावे की मोहब्बत छोड़ो, घर का बोझ उठा लो तुमसे ज्यादा उसकी इच्छायें है,
"माँ" का मतलब समझते हो.? खैर छोड़ो बुढ़ापे की लाठी बन जाना बस यहीं दुआएं है..।।
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ख़ानदानी घर है जरा सोच कर बेचना अमित,
मोहल्ले का प्यार और गांव की खुशबू पैसों से नही मिलते...-
उनकें होने से ही घर मे रौशनी रहती है,
वो कोई चराग़ नही है..
गुज़रे जमाने से जलते आ रहे हैं, जिन्हें लोग बुजुर्ग कहते है...।।-
करूं क्या आपसे बयां आप तो हमारे खूं से वाकिफ़ है,
गुज़रते गैरों से ख़बर मिली है चलो ये भी ठीक है..।।
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उनकर रूप उनकर गुरूर पर हक सिर्फ हमारे रही,
उनके अइसे मत देख भाई उ चाँद सिर्फ हमारे हई...।।-
हुनर हौसले सब म्यान में पड़े है,
बेवजह लोग ज़बान पे अड़े है,
खुद में झांके तो काबिल भी बन जाए,
शहंशाह है इस ज़मी के ये वहम पाल रखे है,
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"आप मुसलमान हो इसलिए मैं हिंदू हूँ, अन्यथा मैं तो विश्वमानव हूँ.!" ― (वीर सावरकर)
"माँ भारती के महान सपूत, श्रेष्ठ साहित्यकार, ओजस्वी वक्ता, प्रखर राष्ट्रवादी नेता एवं समर्पित समाज सुधारक वीर विनायक दामोदर सावरकर जी की जयंती पर शत-शत नमन. 🙏🙏-