कालांतर हो गए मुझे मुखौटो का पता बाद में चला। जो दिखावे की तरह थे आज उन्होंने अंदाज बदल दिए मैं भी चुप होकर देखता रहा कल तक जो अपने से थे आज पराए हो गए अब तो तौल बेतौल बोल या ना बोल की झंझट कलह और सुलह की करवट सब देख रहा हूं इसलिए अब लगता है की वजूद मुझे अब दुनिया को दिखाना है।
!! नज़रे !! नज़रे झुका कर वो तनिक सा मुस्कुराकर जब यूं बगल से गुजरती है मानो बिजली ने आसमा को चीरकर दिल रूपी पृथ्वी पर ठंडी वारिश शुरू कर दिया है। जिसमे अनेकों अनेक फूल खिलने को लालायित है। मिट्टी सुगंधित हो गई है धरा बंजर से हरित की ओर प्रवेश कर रही है। चारो तरफ पेड़ पौधे, झाड़ियां मुस्कुरा रही है। और शरीर के अंग ऐसे प्रमुदित होते है जैसे शरद ऋतु में पुष्प मनमोहक रंग बिखेर रही है। मन उस पल को समेटने की आस में बस एक टक देखता रहता है। नज़रे झुकना नहीं चाहती है और जैसे ही यह दृश्य दूर होता है, मानो सुंदर सा सपना टूट गया। जिसे हम संजोय कर देखना चाह रहे थे। मानो धरा पर कई वर्षो से वारिश नहीं हुई है। पेड़ पौधे मुरझाए हुए है। और अमित अनमोल पल कई वर्षो से कहां खो गया है?
कभी मांगने की जरूरत नहीं, वो उम्मीद हो आप। समस्त विषयों के ज्ञान हो आप। उलझा हुआ हूं, फिर भी सुलझा हूं। कष्ट है तो दूर करने का संघर्ष भी है। जरूरत हो या जिज्ञासा कर्म हो या अभिलाषा सर्वत्र, सर्वज्ञ न बोलने से भी सब कुछ है जो मेरे पास वो आप हो।
जब दोस्तों के साथ किसी सफर पर निकलो, तो बचपन का पूरा नजारा याद आने लगता है और लगता है वो पुराने दिन फिर से वापस आ जाए क्योंकि दोस्तो के साथ के वो पल बात बात पर ठहाके एक दूसरे की टांग खींचना सच में रोमांचित करता है। फिर लगता है कि किस जंजाल में हम फसते जा रहे है। जिस खुशी के लिए हम दिन रात कमाने में गुजार दे रहे है। वह धीरे धीरे लुप्त होता जा रहा है। हम अपने काम धंधों के चलते अपने पुराने दोस्तो को भूलते जा रहे है। फिर काश सी जिंदगी काश में सिमट जाती है।
उनकी ख्वाइशें रखते रखते खुद को नासूर बना दे रहे हो। तुम खुद भी एक चिराग हो दूसरो को रोशन करने के लिए अपना घर ही जला दे रहे हो।। वे वक्त के करीबी है अपना भला सोचने से फुर्सत कहां? कौन कहता है कि, तुम्हरे भले में वे खुश होते होंगे? यदि उनके हाथ में दर्द का चिंगारी भी हो तो वे तुम्हे उसे आग बनाकर तुम्हारे लिए रखते होंगे।। उनके बातों में मत जाना उनके कड़वे बोल को भी तारीफो सा सुनते देखा है। और उनके फिसलते जुबां में हमने अच्छे को बुरा और बुरे को अच्छा होते देखा है।।