नो बेटे हो एक बाप के ना पेट भरण पावेगा।
बीर मर्द रह नियारे नियारे इसा बखत भी आवेगा।।
घर घर में पंचाती होजा कोन किस ने समझावेगा।
मानस मातृ का कर्म छोड़ निर्धन जोड़ा जवेगा।।-
ज्यादा से ज्यादा शेयर करो और मुझे फॉलो करो।
तुम्हारी खूबसूरती को जो कर सकें बयां...,
वो शब्द बना रहा हूं।
वरना ये शायरी वायरी कहां आती हैं मुझे...,
कुछ वक्त गुजरेगा तो बताएंगे...,
कितने खूबसूरत हो तुम...।।-
दिल को सुकून है,
तुम्हें हमारा ख़याल तो आया।
आंसू पोछने के लिए ही सही,
हमारा दिया हुआ रुमाल काम तो आया।।
तुमने क्या कर दी है ,
इस दीवाने की हालत ।
अकेले में ही सही,
तुम्हारे दिल में ये ख्याल तो आया।।-
मुझे लोग बहुत नोच चुके है,
हम मौत के लिए ख़ुद को कोश चुके हैं,
जब पूछा खुदा ने हमसे सोचलो फिर से एक बार,
हमनें कहा जीने से मौत अच्छी हैं हम सोच चुके है,
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हर बात का मतलब इनकार नहीं होता,
हर जगह बैठना इंतजार नहीं होता।
यू तो नजर मिलती है हर दिन हजारों से,
हर नजर का मतलब प्यार नहीं होता।।-
इतना रंगीन तो होली का त्योहार नहीं रहा,
जितना रंगीन ये साल रहा मेरे लिए,
हर किसी ने अपनी औकात के हिसाब से,
गिरगिट की तरह सैकड़ों रंग दिखाए,-
वो छोड़ कर हाथ मेरा,
किसी ओर का हाथ थामे हुए हैं,
और लोग हमें बेवफ़ा कहते हैं,
लोगों को क्या पता हम आज भी,
उसके दिए हर तोफे को सीने से लगाकर सोते हैं,
उसकी कमी महसूस होती है तो,
उसकी यादों में सारी रात रोते हैं,
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सड़क पर पड़े फूलो को देखकर ये महसूस किए,
एक वक्त बीत जाने के बाद लोग फूलों को भी फेंक देते हैं,
मैं...............मैं तो फिर भी एक इंसान हूं-
नींद ना आए तो रात लम्बी लगने लगती हैं,
मंज़िल ना मेले तो सफ़र लम्बा लगने लगता हैं ।
नींद ना आना और मंज़िल का ना मिलना,
बस इन्ही दो मसलों में ज़िंदगी उलझी हैं ।।-