Amit marskole   ("बदनाम शायर")
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Joined 23 March 2018


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22 APR 2022 AT 1:04

कश्ती भी नहीं बदली, दरिया भी नहीं बदला..
है शौक़-ए- सफर अरसे से... यारों
मंजिल भी नहीं पायी और रास्ता भी नहीं बदला..

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16 APR 2022 AT 21:37

हूँ मैं सर्द हवाओं सा
उठ कर बरस जाऊ मैं..
गर मिलजाए गिर हिमालय सा
हिम की तरह जम जाऊ मैं..
संभव हो गर सब साथ हैं
वरन लू बन फिर जाऊ मैं..

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2 APR 2022 AT 15:00

नादान हैं वो.... उसे नही पता !!
कि ढाल बनाकर, अपनो पर ही वार कर रहे लोग...

अये ज़िंदगी तू ऐसी ही हैं !!
फिर भी तुझे प्यार कर रहे हैं लोग...

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8 MAR 2022 AT 12:42

मैं उज्जवल भविष्य की बस दुआएं ही देता रहा,

और वो घर के ही काम में उलझी रही...


(महिला दिवस की शुभकामनाएं💐💐)

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13 AUG 2021 AT 0:57

दरिया को समुंदर में मिलने से..
कौन रोक सकता है
परिंदों को खुले आसमानों में उड़ने से..
कौन रोक सकता है.,

ब-दस्तूर है खूबसूरती का..

किसी की नजरों को उठने से..
कौन रोक सकता है..

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8 APR 2021 AT 13:27

अब नही हैं शोर दिल में,
ये कैसी बे-परवाही है..
सोचा था साथ होगा तुम्हारा-ताउम्र
यह तो खुद की मनमानी है...

ज़िन्दगी मजबूरी है या मजबूर ज़िन्दगी..
चलता है सब.. यहां मसरूक मेहरबानी है
इल्ज़ाम तुझे दे कि खुद को
रूह की चाह अब ज़िंदगानी हैं...

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4 APR 2021 AT 14:27

कुछ कहो..
कुछ बोलो..
कुछ सुनाओ...

ये सब उनकी आहटे हैं..

मुलाकात भी अब उनसे कुछ इसी तरह होती है...

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16 DEC 2020 AT 23:00

उसे अंदाज़ा है
अपनी बेवफाई का...

वरना ...

हमारी खैरियत की बात..
किसी और से न कहते।

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14 DEC 2020 AT 23:31

कि.. अब न तेरी चाहत है..

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13 DEC 2020 AT 14:19

अब न बात होगी,
न मुलाकात होगी,

इश्क की दहलीज में, अब न वो जज्बात होगी..

मसरूफ है वह खुद-ब-गैरों में.. ठीक ही है

पर...
अब इन आंखों से वह बरसात नहीं होगी

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