Amit Kumar Chandra   (दिल की कलम से🖍️)
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चंद लफ्जो में सिमट जाए, ऐसी शख्सियत नहीं मेरी।👿
Joined 26 September 2019


चंद लफ्जो में सिमट जाए, ऐसी शख्सियत नहीं मेरी।👿
Joined 26 September 2019
3 FEB 2022 AT 11:28

मेरे दिल में समा कर तुम, मेरी धड़कन भी हो जाओ।
तुम मेरे प्रेम की गंगा सी पावन भी हो जाओ।
नही मै चाहता के तुम, उमर भर साथ दो मेरा।
अगर मैं कृष्ण बन जाऊं, तुम वृंदावन भी हो जाओ।

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31 JAN 2022 AT 22:13

मै भी वहीं हूं, और वो भी वहीं है।
जो मेरी थी कभी, अब वो मेरी नही है।
कहने को तो सब कुछ कह चुके थे हम दोनो।
पर कुछ बातें हमारे दरमियान आज भी अनकही है।

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13 JAN 2022 AT 12:56

कुछ इस कदर तुम अपनी आदत को छोड़ दो।
किसी पत्थर के लिए तुम अपनी इबादत को छोड़ दो।
शिकायत ही शिकायत हो अगर इश्क में, तो फिर।
सुकून हाथ थाम लो और, मोहब्बत को छोड़ दो।

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28 DEC 2021 AT 14:57

तुम्हारी मोहबब्त को जिस तरह तरसा हूं मैं।
तुम भी तड़पोगे ऐसे, और तड़पते रह जाओगे।
तुमने आज नजरे फेरी है, ठीक है
पर एक दिन मै तुम्हारे सामने से गुजर जाऊंगा।
तुम पलट कर देखोगे और देखते रह जाओगे।

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29 NOV 2021 AT 13:36

महफिलों मे अक्सर मैं अपना जाम भूल जाता हूं।
किसी की यादों में खोकर मैं अपनी शाम भूल जाता हूं।
जिसे मैं भूलना चाहता, उसे ही ना भूलता हूं मैं।
उसको सोच लूं इक पल, तो अपना काम भूल जाता हूं।

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1 NOV 2021 AT 17:01

हा थोड़े हम नादान सही।
और ये झूठी मुस्कान सही।
उजाले तुमको मुबारक।
हमारी महफिलें वीरान सही।
सारी दुनिया मुझे जाने, ये मंजूर नही।
कुछ लोगो से हम अनजान सही।

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18 OCT 2021 AT 12:51

शफीना एक ही अच्छा, तूफान ए इश्क में साहब।
दो नावों की सवारी में लोग अक्सर डूब जाते है।

"शफीना= नांव"

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13 OCT 2021 AT 10:19

मैं सारी उमर एक सपना ही बस संजो नही सकता।
एक रिश्ते के बदले में, कुछ रिश्ते खो नही सकता।
मैं वादे भी भला कैसे करूं, जब सब जानता हूं मैं।
मैं तुम्हारा हो चुका हूं पर, तुम्हारा हो नही सकता।

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19 SEP 2021 AT 10:51

मेरी आंखों में अपने अश्क, को पहचान लो तुम भी।
मैं तुमको जानता हूं, मुझको थोड़ा जान लो तुम भी।
मेरे दिल में तुम्ही तुम हो, ये शायद जानते हो तुम।
मेरे शब्दों में भी तुम हो, बात ये जान लो तुम भी।

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3 SEP 2021 AT 10:00

तुमसे दूर होकर अब मेरी, ये आदत खराब होगी।
मेरे लहजे में जहर होगा और बातों में शराब होगी।
मेरे इस दिल में जो भी है, वो अब जाहिर मैं करता हूं।
मोहब्बत बेपनाह तुमसे, तो नफरत बेहिसाब होगी।

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