बोली लगती है अक्सर मोहब्बत की इश्क वाली गलियों में।
मोहब्बत तो बस आपसे बड़े खरीदार के इंतजार में होती है।।-
ऐ वक़्त, मेरी ज़िन्दगी बक्श दे, फिर देख तुझे मैं सर्वश्रेष्ठ बनाऊंगा ।
बहुतों ने किया होगा बर्बाद तुझे, आबाद तुझे मैं कर जाऊंगा।।
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कैद-ए-चैन होती ऐसी जिसमे हम अपने चैन-ए-सकूं को कैद कर सकते।।
कमबख्त इश्क गर हो जाए तो चैन भरे पल साथ नही होते ।।
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गर मर गया होता मै तो मोहब्बत में रुसवाई न होती।
आंखो में आंसू की धारा और कमबख्त ये तन्हाई तो न होती।।-
कमरा किया लॉक, आंखे भी बंद कर ली।
काश मुमकिन होता, मै नींद को भी कर सकता कैद।।-
लफ़्ज़ों से बयां नहीं कर सकते ।
कुछ दर्द है जो रियासते देख नहीं पाती।।
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जा रहे हो छोड़कर जाओ कोई हर्ज नहीं है।।
मतलबी दुनिया में कोई हमसफ़र नहीं है।।
हूं इश्क में सताया गया, कोई मर्ज नहीं है ।
मेरे जज़्बात की आपको ज़रा भी कदर नहीं है।।-
पूछा जो आपसे मोहब्बत की गली का क्या है पता
लगता है कर दी मैंने आज आपसे से कोई खता।।
पूछा जो आपसे मोहब्बत मिलेगी कहा।
भेजना चाह रहे हो मदिरालय जो है मुकम्मल पता।।-
जाकर कह दो तुम अपने आका से हद में रहना सीख ले।।
शराफत से बैठा हूं , शराफत सिखाने का हुनर नहीं भुला हूं।।-