भरी भीड़ में तन्हापन महसूस करता हूं,
नजदीकियों में भी थोड़ी दूरी महसूस करता हूं।
तेरे उन एहसासों से लड़ता हूं, जिनमें नहीं मैं,
दो पल के रिश्तेदारों को महसूस करता हूं।
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Ek tera pyar paaloon, ye iraada mera tha.,
Ter... read more
यूं महज ये जिंदगी बेबस सी लगने लगी,
कुछ अच्छे भले ही थे, अपनों के बीच में।
बेचैन मन अब दीवारों में ढूंढा करती हैं,
उन एहसासों को जिन्हे वो बहुत पीछे छोड़ आया।।-
जरूरी तो नहीं, तुम जिनके हो वो तुम्हारा हो।
जरूरी तो नहीं, तुम बिन उनका भी न गुजरा हो।
उस तड़पन से निपटकर, बुलंद करो खुद को।
वो समंदर बनो तुम, न जिनका कोई किनारा हो।।-
पहली-दूसरी जैसे कोई,
चाहत कैसे होती है,
जिसे भूलकर जिया भी ना जाए,
मोहब्बत वैसे होती है।-
वो आईने में उतारते गये उनको,
पर ये भूल कर बैठें,
जैसे उनके चेहरा का कोई
प्रतिबिम्ब नहीं बनता।।
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अब तो गैरों में कुछ ज्यादा ही अपनापन है,
अपने तो बस कहने को रह गए हैं।-
jindagi ka ye safar, lagta to aasan nhin.,
jo ruk jaye tut karke, samajhlo wo insaan nhin,
matlab ki hai ye duniya, riste aur naate bhi,
na hota thoda kukarm agar, kyun kehlate bhagwan nhin..-