कुछ दिन गायब हो कर तो देखिये लोग नाम तक भूल जाएंगे
और हमलोग इस चीज में पूरी जिंदगी गुजार देते है कि लोग क्या कहेंगे-
वो अपनी आशियाँ बनाने मुझसे दूर हुए,
हम भी चुप रहे क्यूंकि हम मजबूर हुए...
शिकायत रही उनकी कि रोक नहीं पाए हम उनको,
बस इसी बात से हम गुनहगार और वो बेक़सूर हुए...-
ख्वाब ही था शायद
के हरदम तुम ही मेरे साथ रहोगी।।
हु और रहूंगी शब्द अच्छा था मन बहलाने के लिये...
बाकी वक्त तो है ही,
याद आने ,दिलाने ,बताने, उलझाने
और फिर सच्चाई समझाने के लिए...-
दादा जी ने ही हाथ पकड़ कर मुझको चलना सिखाया था।
छत का मुझे पता नही आकाश सा मुझ पर साया था।।
पापा से जब कुछ मिलता नही था तो दादाजी तुम्हारा सहारा था।
अब कौन मुझे बतलायेगा जो कहानियों में बचपन गुजरा था।।
आर्शीवाद आपका ही है कि मैंने जो कुछ पाया जीवन मे।
दुर्भाग्य रहा पर इतना मुझ पर देख न पाया अंत समय मे।।
आज हजारो लाखो मेरे सब कुछ जर्जर माटी है।
आपका दिया हुआ आशीर्वाद ही मेरे जीवन की बहुमूल्य थाती है।।
होली-दीवाली जब जब आये आप ही घर की रौनक थे।
अब रंग-दीया सब फिके है जज्बातों की जो ऐनक थे।।
आधार हो मेरे दादाजी आर्शीवाद से मैं खिलता रहूँगा
संस्कारों की जो राह बनाई उस पर सदा चलता रहूंगा-
हम मानते हैं कि तुम्हे भूल जाने वाले यहा लोग भी तो हैं..
पर इस चेहरे को ना भूल पाने वाले एक हम भी तो हैं..-
गुनहगार साबित होने के बाद
पता चला कि क्या हुई हमसे खता
मोहब्बत गुनाह है,
काश पहले से होता ये पता-
अरसा बीत गया उन को आईना दिखाते दिखाते
वो खुद से ही खुद को छिपाते रह गए
दूसरों की जिंदगी की चकाचौंध देखते देखते
वो आशियाना अपना ही जलाते रह गए
कहाँ तो चल दिया सारा जमाना तरक्की के रास्ते
वो खुद में ही खिचड़ी अपनी पकाते रह गए-
मेरे प्यारे फ्रेंड गणेशा,
आप रहना मेरे साथ हमेशा,
जब भी मैं हो जाऊ उदास,
आप पर ही टिकी होती है मेरी आस
सो मेरे हृदय में करके आप वास,
जगा देना मेरा खोया हुआ विश्वास,
-
जिंदगी उदास सी है
फिर भी मुस्कुराये जा रहा हूँ मैं
जिंदगी की सारी उलझनों के साथ
फिर भी जिये जा रहा हूँ मैं
ठहरा ना जाने किसके लिए हूँ
फिर भी राह ताके जा रहा हूँ मैं
यूँ तो खुद में ही सफर करता हूँ
फिर भी खुद को खुद ही में तलाश किये जा रहा हूँ मैं-