टचस्क्रीन के इस दौर में,
अक्षरों ने अंगूठों को ऐसे जकड़ा है,
कि अब याद नहीं आखिरी बार,
मैंने कलम कब पकड़ा है।
फ़ॉन्ट और साइज की दुनिया में,
अपनी लिखावट भी याद नहीं,
न्यू रोमन ज़ेहन में है,
और अपनी हस्तलिपि दफ़न है कहीं।-
Amit Kumar
(अमित)
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लिखे को पढ़ना अच्छा लगता है, और लिखे को समझना और भी अच्छा लगता है।
Joined 17 March 2017
10 APR AT 5:42
6 APR 2021 AT 0:21
तुम्हारी यादों को बर्फ में दफनाया है,
सुना है बर्फ में चीजे ताजा रहती हैं।-
10 DEC 2020 AT 22:35
यह भी दौर आ गया,
आतंकवादी अब तक बस,
शिक्षक और इंजीनियर था,
और आज के धरने ने
उसे किसान बना दिया।
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3 DEC 2020 AT 12:43
जंगल को रेगिस्तान बना दिया,
सोंचता हूँ,
भगवान ने इंसान क्यों पैदा किया।-
29 AUG 2020 AT 23:05
ये जो कथित शांतिप्रिय लोग है,
इन्होंने एक देश को राख बना दिया,
शांति तो स्थापित कर दी,
शर्त ये रही कि पूरा देश जला दिया।-
12 AUG 2020 AT 22:08
दुनिया के खाक छानते फिरे,
दो घड़ी बैठ, एक लंबी सांस के साथ
काश की, अपने अंदर झांका होता।
तो अपनी तलाश में हमने अपने को पा लिया होता।-