amit kr   (Amit)
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Joined 30 May 2020


Joined 30 May 2020
9 FEB 2022 AT 6:48

एक आंसू रात भर आंख में मचलता रहा
याद तेरी जैसे आई मोक्ष को चलता बना— % &

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4 FEB 2022 AT 21:44

इक मजबूर हम आदतन और हमसे उम्मीदें हजारों है
हमे बुलाए जिंदगी फिर वही मुश्किल कि सामने तू है— % &

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29 JAN 2022 AT 12:21

देखोगे गर नफरत से हमे तो भी निगाह टकराएगी
अब तक की दुश्मनी छोड़ो तब बात आगे बढ़ जाएगी— % &

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21 AUG 2020 AT 11:46

क़यामत मूझपे ढा गया है पलकों का उठना और गिरना
हम तो बदनाम जमाने में थे लोहा मौत से लेने को वरना

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12 JUN 2020 AT 23:08

* बकवास *

अटकी है हलक में
इक शायरी अधूरी
अल्फ़ाज़ मुकम्मल मार के
शेर उल्टी करा दो

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18 JAN 2022 AT 20:13

धुंध में लिपटा तेरा चेहरा बाहें खोले लिहाफ
लाख चुप्पियों का मुखातिब खामोश जवाब

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12 DEC 2021 AT 20:17

थे फितरती,
हर मामूली बात पे अहम दस्तख़त वो करते
फैसला नहीं हुआ पर आधी राह ही वो चल बसे

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21 NOV 2021 AT 19:38

उसकी आंखें ऐसी गहरी सामने आईने के आईना
दर परत दर अपनी ही शक्लों से खुद का सामना

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16 NOV 2021 AT 21:16

जिसने पीठ दिखा रखी है उसे रोकने की जरूरत नहीं
और जो साथ निभाने को है वो तुमको छोड़ेगा ही नहीं

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2 NOV 2021 AT 20:18

खिली जो होती धूप दिल में खिली है जो हर सूं
बदल ही जाते नजारे सारे सामने आता जो तू

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