एक आंसू रात भर आंख में मचलता रहा
याद तेरी जैसे आई मोक्ष को चलता बना— % &-
इक मजबूर हम आदतन और हमसे उम्मीदें हजारों है
हमे बुलाए जिंदगी फिर वही मुश्किल कि सामने तू है— % &-
देखोगे गर नफरत से हमे तो भी निगाह टकराएगी
अब तक की दुश्मनी छोड़ो तब बात आगे बढ़ जाएगी— % &-
क़यामत मूझपे ढा गया है पलकों का उठना और गिरना
हम तो बदनाम जमाने में थे लोहा मौत से लेने को वरना-
* बकवास *
अटकी है हलक में
इक शायरी अधूरी
अल्फ़ाज़ मुकम्मल मार के
शेर उल्टी करा दो-
धुंध में लिपटा तेरा चेहरा बाहें खोले लिहाफ
लाख चुप्पियों का मुखातिब खामोश जवाब-
थे फितरती,
हर मामूली बात पे अहम दस्तख़त वो करते
फैसला नहीं हुआ पर आधी राह ही वो चल बसे-
उसकी आंखें ऐसी गहरी सामने आईने के आईना
दर परत दर अपनी ही शक्लों से खुद का सामना-
जिसने पीठ दिखा रखी है उसे रोकने की जरूरत नहीं
और जो साथ निभाने को है वो तुमको छोड़ेगा ही नहीं-
खिली जो होती धूप दिल में खिली है जो हर सूं
बदल ही जाते नजारे सारे सामने आता जो तू-