सूरज को चिरागो की जरूरत नही होती
चुप रहने से कोई बात खत्म नही होती
गम की परछाई भी मुस्कान से कटती है
ये खुशिया ही तो है जो बाटने से बढ़ती है
उम्मीद की किरण नया दिन ला सकती है
कागज के फूलो से भी महक आ सकती है
बचपन की यादें है, जो दिल को सुकून देती है
ये खुशिया ही तो है, जो बाटने से बढ़ती है
पापा के साथ शरारत कुछ खास होती है
माँ की डांट से ही दिन की शुरुवात होती है
घर मे सबकी मुस्कान से ये उम्र बढ़ती है
ये खुशिया ही तो है जो बाटने से बढ़ती है
जीवन के हर मोड़ पर निश्चिंत रहता हूं
मुस्कुराना हरदम, मैं बेखोफ रहता हूं
बैंक में रखे पैसो से, कई गुना बढ़ती है
ये खुशिया ही तो है जो बाटने से बढ़ती है
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