Amit Joshi   (अमित जोशी)
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🇮🇳 नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे 🇮🇳
Joined 28 July 2018


🇮🇳 नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे 🇮🇳
Joined 28 July 2018
8 MAY 2023 AT 19:38

कुछ लिखा है कुछ मिटा दिया है
धुंधली तस्वीर को हटा दिया है
कुछ नाम है जो अब भी लिखे है
ओर कुछ नाम को हटा दिया है

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24 FEB 2023 AT 19:08

निरन्तर बहता रहा झरना अश्को का, न जाने वो नदी कौन थी
दिल मे दर्द था, जुबा मौन थी, न जाने उस रात, वो कौन थी

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4 FEB 2023 AT 10:21

अमावस के डर से चाँद से बात न कि
डूबने के डर से नदी पार तक न कि
फिर भी डरता है दिल तुमसे मिलने से
इसी डर से तुमसे मुलाकात तक न कि

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28 JAN 2023 AT 9:04

सूरज को चिरागो की जरूरत नही होती
चुप रहने से कोई बात खत्म नही होती
गम की परछाई भी मुस्कान से कटती है
ये खुशिया ही तो है जो बाटने से बढ़ती है

उम्मीद की किरण नया दिन ला सकती है
कागज के फूलो से भी महक आ सकती है
बचपन की यादें है, जो दिल को सुकून देती है
ये खुशिया ही तो है, जो बाटने से बढ़ती है

पापा के साथ शरारत कुछ खास होती है
माँ की डांट से ही दिन की शुरुवात होती है
घर मे सबकी मुस्कान से ये उम्र बढ़ती है
ये खुशिया ही तो है जो बाटने से बढ़ती है

जीवन के हर मोड़ पर निश्चिंत रहता हूं
मुस्कुराना हरदम, मैं बेखोफ रहता हूं
बैंक में रखे पैसो से, कई गुना बढ़ती है
ये खुशिया ही तो है जो बाटने से बढ़ती है

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14 FEB 2022 AT 21:06

काश मेरी कलम को, उनका साहस मिल जाये।
लिखे जो अल्फाज, वो भी इंकलाब बन जाये ।।
यू लाखो खूबसूरत, जिंदगीया देखी है जमाने मे।
बस जिंदगी से बड़ी, काश वो शहादत मिल जाये।

🇮🇳 ।। शहादत दिवस पर विरो को नमन ।। 🇮🇳— % &

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22 JAN 2022 AT 22:57

मोहब्बत किस हद तक निभाये, समझ नही आता
चाँद को जमी पर कैसे लाये, समझ नही आता
जानते है तुम्हे ओर तुम्हारे दिल के हालात को
हमारे दिल को कैसे समझाए, समझ नही आता

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19 DEC 2021 AT 20:04

रोज मुलाकात हो ये आरजू भी नही
कोई गिला या कोई शिकायत भी नही
मुकम्मल जिंदगी है कट ही जाएगी
बात करो ना करो, अब कोई शिकायत भी नही

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1 DEC 2021 AT 9:59

जहाँ विचारों की अभिव्यक्ति पर आदर सम्मान का पक्ष भारी होता दिखाई दे, वहाँ विद्रोह की संभावना बढ़ जाती है।

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17 NOV 2021 AT 23:10

दिन भर भृमण कर बस यही पहुच पाया हूँ
ज्यादा कुछ नही, बस कुछ ही लिख पाया हूँ
लिखा कुछ है, या, कुछ में बहुत कुछ है
तुम तो क्या, अभी तक मे भी नही समझ पाया हूँ

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13 NOV 2021 AT 23:22

राहों में काट तो है पर चलना भी जरूरी है
आँखों के सपनो को पूरा करना भी जरूरी है
रास्ते भले ही जुदा हो गए हो हमारे दोस्त
पर इन्ही। राहों पर मिलना भी जरूरी है

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