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गर रफू कर लिया होता तो जाया नहीं जाता,
अब कोई पैबंद इस दिल पर लगाया नहीं जाता।
कहने को तो दुनिया के तमाम लव्ज कम पड़ेंगे,
पर हाल-ए-दिल जुबां से भी बताया नहीं जाता।
मुद्दतों के इंतजार के बाद भी पलट कर नहीं देखा।
इस कदर मुझसे तो किसी को सताया नहीं जाता।
आखिरी दांव पर मैं अपने आप को हार बैठा,
इक दिल ही है जिसे दांव पर लगाया नहीं जाता।
नमक का शहर है यहां पर्दा जरुरी है यकीनन,
ज़ख्मों को यूं नुमाइश कर दिखाया नहीं जाता।
झुकोगे तो बेझिझक काट दिए जाओगे "अंजान"
यहां सिर भी सबके सामने झुकाया नहीं जाता
अमित अंजान-
खुद को संवारूंगा फिर बिखर जाऊंगा एक दिन
मगर तेरे लिए कुछ भी कर जाऊंगा एक दिन
तेरे इन खूबसूरत हाथो में खंजर अच्छे नहीं लगते
जान तेरे दिए दर्द से ही मै तो मर जाऊंगा एक दिन-
कल नहीं समझा आज नहीं समझा
गीत नहीं समझा साज़ नहीं समझा
खामोशी तो क्या समझता वो सख्स
जो कभी मेरे अल्फ़ाज़ नहीं समझा-
कोई मिल जाए मुझे, तुम जैसा ये नामुमकिन सही
तुम ढूंढ़ लो कोई मेरे जैसा इतना आसान ये भी नहीं-
चाहतों का अपनी अब हम हिसाब क्या करे
ज़िन्दगी बर्बाद होने आई है अब शराब क्या करे-
चलो दोस्त एक काम करते है
जो थे खास उन्हें आम करते है
रुसवा हो जाएंगे खुद ही वो
अपने आप को बदनाम करते है-
हम ही लुट जाएंगे मोहब्बत में एक दिन
बेवफा का इल्ज़ाम भी हमी पर आएगा-
चाहत में मुझे कुछ भी कर जाना है एक दिन
तेरा ना हुआ तो मुझे मर जाना है एक दिन-