मै फिर पुराने जख्मों को खुरेच रहा हूं
में एक अरसे बाद फिर कुछ लिख रहा हूं
सबने कहा मुझे, क्या बात है अब कुछ लिखते नहीं
चलिए आइए पढ़ते हैं मैं कुछ लिख रहा हूं
मै फिर से उसी की बाते करने आया हूं
टूटे दिल को थोड़ा और तोड़ने आया हूं
मेरे गम पूछ रहे हैं मेरे शहर के लड़के
मै क्या बताऊं मैं अदालतों से रिहा हो कर आया हूं
एक अरसे बाद मैंने फिर से कलम उठाई है
मैने दिलो दिमाग पर फिर से उसकी छवि बनाई है
वो अकेला छोड़ कर गया था मुझे जिस रात को
उस रात के बाद मुझे ठीक से नींद नहिं आई हैं
तेरा छोड़ जाना भी किसी वहम सा लगता हैं
तू मुझे मेरी पहली मोहब्बत की बद्दुआओ सा लगता हैं
ये तेरे दिए सितम है जो में लिख रहा हूं
वरना यूंही नहीं मैं मोहब्बत के महीने में मोहब्बत को कोस रहा हूं
तेरे बारे में बताया नहीं हर एक को
तेरे बारे में पता है बस एक को
कई लड़कियां आती हैं इजहार ए इश्क करने को
मैने अधूरी तमन्ना कह कर नकारा हर एक को
ASH WRITES (AMIT)💔
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मै फिर पुराने जख्मों को खुरेच रहा हूं
में एक अरसे बाद फिर कुछ लिख रहा हूं
सबने कहा मुझे, क्या बात है अब कुछ लिखते नहीं
चलिए आइए पढ़ते हैं मैं कुछ लिख रहा हूं
मै फिर से उसी की बाते करने आया हूं
टूटे दिल को थोड़ा और तोड़ने आया हूं
मेरे गम पूछ रहे हैं मेरे शहर के लड़के
मै क्या बताऊं मैं अदालतों से रिहा हो कर आया हूं
एक अरसे बाद मैंने फिर से कलम उठाई है
मैने दिलो दिमाग पर फिर से उसकी छवि बनाई है
वो अकेला छोड़ कर गया था मुझे जिस रात को
उस रात के बाद मुझे ठीक से नींद नहिं आई हैं
तेरा छोड़ जाना भी किसी वहम सा लगता हैं
तू मुझे मेरी पहली मोहब्बत की बद्दुआओ सा लगता हैं
ये तेरे दिए सितम है जो में लिख रहा हूं
वरना यूंही नहीं मैं मोहब्बत के महीने में मोहब्बत को कोस रहा हूं
तेरे बारे में बताया नहीं हर एक को
तेरे बारे में पता है बस एक को
कई लड़कियां आती हैं इजहार ए इश्क करने को
मैने अधूरी तमन्ना कह कर नकारा हर एक को
ASH WRITES (AMIT)💔
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उसके आने के बाद मेंने वादे किए, कयी कसमे खाई....
फ़िर मेने सिगरेट, शराब को हाथ ना लगाने की कसमे खाई...
उसके साथ फ़िर कयी सपने देखे, एक उम्र बिताई...
फ़िर उस शख्स के बाद मेंने किसी से दिलल्गी नहीं लगाई..
वो सज धज का बाहर जाती थी जब भी कभी ...
उसके जाने पर मेंने काले टिके लगाए, आने पर नजरे उतारी...
एक उसके बिमार होने पर मेंने व्रत रखे , मन्नते मांगी...
फ़िर उसके लिए मेने कहा कहा नही दुआए मांगी ....
उसके जाने के बाद फ़िर सब कसमे टुटी, वादे टुटे....
फ़िर मेंने मनन्तो के धागे काटे,खुदा पर से भरोसे टुटे...
तेरे जाने के बाद मेंने दोस्तो को बुलाया महफ़िल जमाई...
फ़िर दोस्तो ने जाम बनाए, मेंने सिगरेट जलाई...
फ़िर सिगरेट जला कर मेंने तेरी यादो को धुआँ किया...
फ़िर दोस्तो के कहने पर मेंने शायरी सुनाई...
हर एक शायरी में बस मेंने तेरी बाते बताई...
मेंने सबमे तुझे अच्छा कहा,तेरी बेवफ़ाई नहीं बताई...
फ़िर सबने तेरा नाम पुछा, फ़ोटो दिखाने की जिद लगाई....
तेरा नाम मेंने अधुरी ख्वाहिश कहा, मगर तेरी तस्वीर नहीं दिखाई-
जो किया करता था मेरे बिना कभी मरने की बाते....
वो शख्स अब मेरे छॊड जाने की दुआए पढ रहा है...
मेंने गुजार दी पुरी रात करवटे बदलने मे....
एक वो है जो बिना किसी उलझन के सो रहा है...
मैंने देखी है तुम्हारे बिस्तरो की सिलवटो को..
यार ये केसा शख्स है आँखो में देख कर भी झूठ कह रहा है...
मैने देखा है तुम्हे खुशमिजाज होते हुए अजनबियो से...
मगर तुम्हारा मेरा अपनो से बात करना गलत लग रहा है...
वो कहता हे कि मैं खुश नहीं तुमसे लड झगड कर...
मगर वो चेहरे से उदास भी नहीं लग रहा है...
मैं केसे बताऊ मेरे सारे गम तुम्हें ...
तु मेरे दोस्त की नियत सा भी नहीं लग रहा है...
जिस तरीके से तु अब हर बात पर छोड जाने का कह रहा है..
तेरे साथ अब ये आगे का सफ़र कुछ मुश्किल लग रहा है...
कयी मलाल है मुझे तुम्हारे झगडने पर कहे शब्दो का.
मैं तुमसे मोहब्ब्त में हु इसलिए ये सब चल रहा है...
मैं उतना झुठा नहीं हु, जितना तु कह रहा है...
मैं कितना सच्चा हुँ ,ये मेरे दोस्त को पता चल रहा है...-
ये वक्त मेरा केसा इम्तेन्हा ले रहा है...
हर एक दिन तेरे इंतजार में घट रहा है...
वो सफ़र में साथ चल तो रहा है मेरे...
फ़िर उसके होते हुए भी ये वक्त क्युँ तन्हा कट रहा है...
एक जमाना हो गया उसकी गली से गुजरे हुए...
फ़िर उसका युँ दरवाजे पर खडे होकर किसका इंतजार हो रहा है...
मैंने किया था एक रोज शाम को फ़ोन उसे...
वो ना जाने फ़ोन पर किससे मशरुफ़ हो रहा है...
मैं बगल में ही तो बेठा हुँ उसके...
फ़िर वो इधर उधर ना जाने किसे ढुँढ रहा है...
मैं रोया एक रोज बहुत याद करते हुए उसे...
ये बात सुन वो बडा हँस रहा है...
मैंने बाते करने के लिए बस में पास बिठाया उसे...
मगर वो फ़ोन पर ना जाने किससे बतिया रहा है...
ओर ना जाने किस बात का मगरुर है उसे...
हर बार मुझे ही उसका हाथ थामना पड रहा है...
ओर एक हम हैं जो मर रहे हैं उसे पाने को...
एक शख्स है जो हमें पाने को सावन कर रहा है...-
मैं तालाब में ठहरे पानी सा हुँ ..
तुम समुद्र की लहरो के उफ़ान सी हो ....
मैं दिन भर जलते सुरज सा हुँ..
तुम रात को चमकते चाँद सी हो...
मैं पिंजरे में बंद किसी पक्षी सा हुँ...
तुम खुले आसमान में उडते आजाद परिंदे सी हो...
मैं किसी शायर की किताब सा हुँ...
तुम उसमें लिखी प्यारी गजल सी हो...
मैं रफ़ कॉपी के पहले पन्ने पर लिखा नाम सा हुँ...
तुम आखिरी पन्ने पर लिखे सारे जज्बात सी हो..
ओर केसे होगा हमारा मिलन प्रिये...
मैं चार दिवारी में रहने वाला लडका साधारण सा...
तुम महलो में रहने वाली रानी सी हो...-
कयी सारे है चाहने वाले शहर में मेरे...
वो शहर में मेरे कोई अकेला थोडी है...
ये दिल के घाव है जो लिख रहा हूँ मैं...
वो मेरे शायर बनने का कोई हकदार थोडी है...
गलत है उसे मेरे हर गम में साथ जोडना...
हर ग़म का मेरे वो गुनहगार थोडी है...
खुदा के दर पर हर एक दुआ में माँगा था उसे...
चलिए छोडिए अब ना मिला तो ना सही...
अब वो मेरा नसीब थोडी है...
हजार मसले है मेरी जिन्दगी में जनाब...
मुझे बस एक उसका कोई गम थोडी है...
ओर एक बात कहुँ तो कई मजबुरिया है उसकी...
वरना सच बताऊँ तो वो कोई बेवफ़ा थोड़ी है...-
ये शहर का वही मोड है ना जहाँ नजरे
मिली थी हमारी, क्या वो लम्हा याद है तुम्हे...
वो छत पर डरते डरते पहली मुलाकात,हमारी क्या याद है तुम्हे...
बस एक तुम्हें देखने को तुम्हारे शहर आया करता था, क्या वो इंतजार याद है तुम्हे...
एक तुम्हारे इंतजार में घंटॊ खिडकी में बेठा राह तकता था क्या याद है तुम्हे...
ओर एक तुमसे बात करने को रात भर जागता था क्या वो बाते याद है तुम्हे...
एक तुम्हारे शहर को छोड़ जाने के बाद सफ़र में कितना रोया था
क्या वो आसु याद है तुम्हे...
मैं वही लडका हु जो तुमसे बेइतहा मोहब्ब्त
करता था बताओ ना क्या मे याद हु तुम्हें...
चलो छोडो अब ये सब बाते
तुम खुश हो ना तो खुश रहना,
मेरी मोहब्ब्त आज भी तुम हो सोचा बता दु तुम्हें...
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क्युँ डरते हो मुझे खोने से,
मेरा आज मेरा कल सब तुम हो ना..
बहुत सी लिखी है शायरिया मैंने,
मगर मेरी एक प्यारी सी गजल तो तुम हो ना...
कितने ही हो चाहे बाग मे फ़ुल मगर ,
गुलाब सी महक तो बस तुम हो ना...
मैं लिखा करता हूँ खुबसुरत जिसे गजलो में ,
उस चाँद का किरदार तो बस तुम हो ना...
मेंने छुपा कर रखा है जिसे सारे जमाने से ,
वो एक गहरा राज तो बस तुम हों ना...
कई सारी है परेशानिया जिंदगी में,
मगर एक सुकुन की आस तो बस तुम हो ना...
ओर कई सारी है गोपिया शहर में मेरे,
मगर मेरी राधा तो बस तुम हो ना...-
कितनी मोहब्ब्त है तुम्हारे लिए दिल में मेरे बता दुँ क्या..?
की तुम बिना बात के झगडा करती हो तो भी मे चुपचाप सुनता हुं...
जब वजह पता चले झगडने की तो तुम्हारी एक sorry में भी मान जाता हूँ ..
मैं तुम्हारी एक गलती पर भी बडे प्यार से तुम्हें समझाता हुं...
तुम मेरी एक गलती पर मेरी सारी पुरानी गलतियो को दोहराती हो...
तुम कहती हो मेरा मन नहीं है लडने का ओर खुद ही झगडा करती हो..
मैं गुस्सा नहीं करता फ़िर भी तुम ना जाने क्युं मुझसे इतना डरती हो...
मैं कितना ही गुस्सा कर लु मगर कभी छोड जाने की बात कहता नहीं...
तुम एक छोटी सी लडाई पर भी छोड जाने तक की बात कह देती हो...
हां मै मानता हु बाते थोडी कम करता हूँ...
मगर फ़िर भी तुम्हारी तो हर बात सुनता हुँ...
ओर ऎसा है की...
कई सालो तक एक तुम्हारे जेसे प्यार के लिए तरसा हुँ..
मैं भी लडाई, झगडा कर लु मगर बस एक तुम्हें खोने से डरता हुँ...
मैं मोहब्ब्त करता हूँ, तुम शक करती हो...
मेरी हर बात पर तुम कसमे दिलवाती हो...
तुम हर बात
पर कहते हो कि मैं छोड के चली जाऊगी तो बडा पछताओगे...
मैं छोड़ जाने की बात तो नहीं कहता मगर आज कहता हुँ की में छोड के चला गया तो तडप जाओगे...-