कमल पर कितना उमड़ रहे हैं नदी में उठते भँवर को देखोशराब हो जाए सारा पानी नदी में थोड़ा उतर के देखोमहक उठेगा हृदय का सावन स्वयं से तुमको फिर इश्क़ होगामेरी नजर के इन आयनों में तुम अपना चेहरा संवर के देखो - @❤️!t ✍️
कमल पर कितना उमड़ रहे हैं नदी में उठते भँवर को देखोशराब हो जाए सारा पानी नदी में थोड़ा उतर के देखोमहक उठेगा हृदय का सावन स्वयं से तुमको फिर इश्क़ होगामेरी नजर के इन आयनों में तुम अपना चेहरा संवर के देखो
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