यदि हम किसी से प्रश्न करें कि इस धरा पर शास्वत क्या है…? सम्भव है कुछ लोग सत्य को शास्वत कहेगे, कुछ दया को कुछ समर्पण को। मेरी दृष्टि में इस समुची सृष्टी में यदि कुछ शाश्वत है तो वह है प्रेम... प्रेम में सत्य भी है, प्रेम में श्रद्धा भी है, प्रेम में समर्पण भी है, प्रेम में दया भी है... यदि आप किसी से सदा सत्य कहते हैं तो संभव है कि आप उससे प्रेम ना करते हों, यदि आप किसी के प्रति समर्पण की भावना रखते हैं तब भी सम्भव है आप उससे प्रेम ना करते हों, यदि आप किसी के प्रति दयावान है तब भी हो सकता है आप उस शख्स से प्रेम ना करते हों, किंतु यदि आप किसी से प्रेम करते हैं तो आप उस शक्स से सदा सत्य ही कहेंगे, आप उसके लिए सदा समर्पित रहेगें, उसके लिए आपके मन में दया की भवना होंगी, इन अर्थों में प्रेम ही इस सृष्टि में एक मात्र शाश्वत है।
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