रोती हुई आवाज में यह कह रहे हैं लब,
ना जाने किस अपराध से रूठे हुए हैं रब,
उड़ने का कहकर तुम तो आसमां में चल दिए,
इतना तो बता दो कि लौटोगे पुनः कब..!-
रोती हुई आवाज में यह कह रहे हैं लब,
ना जाने किस अपराध से रूठे हुए हैं रब,
उड़ने का कहकर तुम तो आसमां में चल दिए,
इतना तो बता दो कि लौटोगे पुनः कब..!-
रोती हुई आवाज में यह कह रहे हैं लब,
ना जाने किस अपराध से रूठे हुए हैं रब,
उड़ने का कहकर तुम तो आसमां में चल दिए,
इतना तो बता दो कि लौटोगे पुनः कब..!-
रोती हुई आवाज में यह कह रहे हैं लब,
ना जाने किस अपराध से रूठे हुए हैं रब,
उड़ने का कहकर तुम तो आसमां में चल दिए,
इतना तो बता दो कि लौटोगे पुनः कब..!-
रोती हुई आवाज में यह कह रहे हैं लब,
ना जाने किस अपराध से रूठे हुए हैं रब,
उड़ने का कहकर तुम तो आसमां में चल दिए,
इतना तो बता दो कि लौटोगे पुनः कब..!-
रोती हुई आवाज में यह कह रहे हैं लब,
ना जाने किस अपराध से रूठे हुए हैं रब,
उड़ने का कहकर तुम तो आसमां में चल दिए,
इतना तो बता दो कि लौटोगे पुनः कब..!-
मोदी जी कैसा युद्ध विराम !
सेना का यशगान गूंजता जब लाहौर की वादी में,
भारत का ध्वज लहराता, पाकिस्तानी आबादी में,
पुलवामा की मृत आत्मा का तर्पण अभी हुआ ना था,
मां के चरणों में दुश्मन का अर्पण अभी हुआ ना था।
रक्त उबलता वीरों का, तुम कहते बंद संग्राम,
मोदी जी कैसा युद्ध विराम !-
"सिंदूर की पुकार"
मांग का सिंदूर लेकर बारूदों के बम बनाओ,
सप्तपदी की अग्नि से आतंकियों के घर जलाओ,
भारती के किरीट की सौगंध भारतवासियों को,
जातियों में मत बंटों प्रतिशोध की अग्नि जलाओ।
छब्बीस चिताओं की मुखाग्नि चीखकर यह कह रही है
दानवों का रक्त हो अब हिन्द की तलवार पर...
विगत दिनों पहलगाम हमले में अपने पतियों को खोने वाली नवविवाहित भारतीय नारियों की पुकार पर लिखे गीत की उक्त पंक्तियां आज सार्थक हो गई।
जय हिन्द जय हिन्द की सेना 🇮🇳-
भूल न जाना मुंबई, दिल्ली, संसद की बरबादी को,
भूल न जाना पुलवामा और काश्मीर की वादी को,
बंटना नहीं है जात-पात में, आघातों का उत्तर दें,
जन्नत का हर द्वार दिखा दो, हूर प्रेमी जेहादी को।-