Amit Jain   (@❤️!t ✍️)
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उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए...❤️
Joined 21 May 2020


उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए...❤️
Joined 21 May 2020
1 NOV 2022 AT 21:18

जबसे अंतस में दीपक जला राम का,
मर्यादा पथ पर चलने का मन कर रहा।
प्रेम की कोई परिभाषा सीखी नहीं,
राम-सीता का जीवन मनन कर रहा।

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20 JUL 2022 AT 22:24

जिससे नफरत हो उससे प्रेम हो सकता है, मगर जिससे प्रेम हो उससे नफरत कभी नहीं हो सकती।

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13 JUL 2022 AT 22:09

परमेश्वर और प्रेम में कोई फर्क नहीं होता, दोनों एक ही है ओर कई अर्थों में तो प्रेम परमेश्वर से बढ़कर है। जहां प्रेम है वहाँ परमेश्वर की उपस्थिति सुनिश्चित है। प्रेम और परमेश्वर दोनों ही अटूट श्रद्धा और विश्वास मांगते है। आप ये दोनों तत्व प्रेम को देते रहिये, देखिए फिर प्रेम आपको पा जायेगा या आप प्रेम को। दोंनो ही स्थित में आपके जीवन मे कभी उदासी नहीं होगी, कुछ होगा तो, केवल आनंद...।

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13 JUL 2022 AT 21:59

नहीं है भाती मुझे ये रौनक
ए चांद पूनम के अब ना दिखना
है तुझसे सुंदर भी शक्स जग में,
मेरी मोहब्बत से जा के मिलना...

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11 JUL 2022 AT 19:08

कविताएं हृदय को ओर अधिक पावन बनाती हैं।

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11 JUL 2022 AT 19:03

जहाँ आपके शब्दों का महत्व ना हो वहाँ आपका मौन ही बेहतर है।

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11 JUL 2022 AT 11:11

अपनों ने अभिशाप दिया है,
खुशियां कैसे मनाएं हम !
द्वंद्व छिड़ा है मन के भीतर,
बाहर कैसे आएं हम।

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3 JUL 2022 AT 10:52

यदि हम किसी से प्रश्न करें कि इस धरा पर शास्वत क्या है…? सम्भव है कुछ लोग सत्य को शास्वत कहेगे, कुछ दया को कुछ समर्पण को। मेरी दृष्टि में इस समुची सृष्टी में यदि कुछ शाश्वत है तो वह है प्रेम... प्रेम में सत्य भी है, प्रेम में श्रद्धा भी है, प्रेम में समर्पण भी है, प्रेम में दया भी है... यदि आप किसी से सदा सत्य कहते हैं तो संभव है कि आप उससे प्रेम ना करते हों, यदि आप किसी के प्रति समर्पण की भावना रखते हैं तब भी सम्भव है आप उससे प्रेम ना करते हों, यदि आप किसी के प्रति दयावान है तब भी हो सकता है आप उस शख्स से प्रेम ना करते हों, किंतु यदि आप किसी से प्रेम करते हैं तो आप उस शक्स से सदा सत्य ही कहेंगे, आप उसके लिए सदा समर्पित रहेगें, उसके लिए आपके मन में दया की भवना होंगी, इन अर्थों में प्रेम ही इस सृष्टि में एक मात्र शाश्वत है।

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9 JUN 2022 AT 16:11

त्रिवेणी घाट पर एक मैं एक तुम
चांद की रोशनी, साथ जीने के प्रण
तुझमें मैं मिल गया मुझमें तू घुल गई
नाम तेरा रहा, मैं हुआ अन्तरंग
ए सखी अब चले सपनों के इक शहर
आँखों में बस बनारस बसाता रहूँ
मैं बनारस की पावन प्रभातों के संग
जाह्नवी के तटों को सजाता रहूं
दूधिया रात में मंत्रों के जाप में
आरती की ध्वनि गुनगुनाता रहूं...

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18 MAR 2022 AT 16:05

हाथ लाल पग लाल और मेरा मुँह लाल,
होली के दिन सारा बदन लाल लाल है.
मुँह मेरा लाल और हाथ में गुलाल लाल,
किसको लगाऊं यहाँ सबके चेहरे लाल है.
लाल देव भक्तन को लालिमा प्रदान करे,
राम जी लगाए सीतामाता को गुलाल है.
गोपियां भी लाल लाल, राधिका भी लाल लाल,
नन्दलाल का नील वर्ण भी आज लाल है.

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