मोदी जी कैसा युद्ध विराम !
सेना का यशगान गूंजता जब लाहौर की वादी में,
भारत का ध्वज लहराता, पाकिस्तानी आबादी में,
पुलवामा की मृत आत्मा का तर्पण अभी हुआ ना था,
मां के चरणों में दुश्मन का अर्पण अभी हुआ ना था।
रक्त उबलता वीरों का, तुम कहते बंद संग्राम,
मोदी जी कैसा युद्ध विराम !-
"सिंदूर की पुकार"
मांग का सिंदूर लेकर बारूदों के बम बनाओ,
सप्तपदी की अग्नि से आतंकियों के घर जलाओ,
भारती के किरीट की सौगंध भारतवासियों को,
जातियों में मत बंटों प्रतिशोध की अग्नि जलाओ।
छब्बीस चिताओं की मुखाग्नि चीखकर यह कह रही है
दानवों का रक्त हो अब हिन्द की तलवार पर...
विगत दिनों पहलगाम हमले में अपने पतियों को खोने वाली नवविवाहित भारतीय नारियों की पुकार पर लिखे गीत की उक्त पंक्तियां आज सार्थक हो गई।
जय हिन्द जय हिन्द की सेना 🇮🇳-
भूल न जाना मुंबई, दिल्ली, संसद की बरबादी को,
भूल न जाना पुलवामा और काश्मीर की वादी को,
बंटना नहीं है जात-पात में, आघातों का उत्तर दें,
जन्नत का हर द्वार दिखा दो, हूर प्रेमी जेहादी को।-
रज रज राधिका है, कण कण कृष्ण यहां,
पग पग पावन पुनीत संत धाम है।
डूबता है जग जहां, प्रेम के सरोवर में,
श्यामा श्याम जू की छवि अति अभिराम है।
जपती है जमुना जी, श्याम श्याम आठों याम,
निधिवनराज की सुगंध राधा नाम है।
देवता भी नित्य स्मरण कर कहते हैं,
वृन्दावन भू को स्वर्ग भूमि का प्रणाम है।-
बंटवारे की मेरे शहर में जब हवा चली,
एक हिस्से शजर मैं था, दूजे हिस्से वो कली,
सारा शहर इस शर्त पर कुर्बान कर दिया,
जिसमें है घर कली का मुझको दे दो वो गली।-
नैनों में था रास्ता हृदय में था गाँव
हुई न पूरी यात्रा छलनी हो गए पाँव
• निदा फ़ाज़ली
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वर्ष नव, हर्ष नव,
जीवन उत्कर्ष नव।
नव उमंग, नव तरंग,
जीवन का नव प्रसंग।
नवल चाह, नवल राह,
जीवन का नव प्रवाह।
गीत नवल, प्रीत नवल,
जीवन की रीति नवल।
• हरिवंश राय बच्चन
आपको और आपके पूरे परिवार
को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।-
क्षिप्रा की स्वर सरिता हूं मैं,
उज्जयिनी की सविता हूं मैं,
महाकाल के गीत सुनाती,
कालिदास की कविता हूं मैं।
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अगर
पुरानी पीढ़ी
नई पीढ़ी की
भावनाएं नहीं
समझ सकती
तो उन्हें
बच्चे नहीं
कठपुतलियां
पैदा करना चाहिए।-
चला जाता मैं उसके घर, वो मेरे घर जो आ जाता,
मैं उसके घर नहीं जाता, वो मेरे घर नहीं आता।-