Amit Jain   (Amit jain"Dilse")
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दिल का शायर इंस्टाग्राम ID 👇
Joined 16 April 2020


दिल का शायर इंस्टाग्राम ID 👇
Joined 16 April 2020
18 MAY 2022 AT 20:37

No Matter How Much Money You Have
If you are not Enjoy Today;
Everything is Useless

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7 MAY 2022 AT 21:33

Don't waste your money
Always use your money!

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1 APR 2022 AT 19:55

व्यापार से लाभ कमाने के लिए
लाभ को भी निवेश किया जाना
सबसे बड़ी रिटर्न है

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18 MAR 2022 AT 10:18

चलो सबके चेहरे पर वही खुशी वही मुस्कान दोबारा लाते हैं
मायूसी के चेहरों को हम फिर से खुशी से भरा भरा बनाते हैं
चलो उन प्यारे रंगों को एक दूसरे पर उत्साह से फिर लगाते हैं
आओ साथियों,मिलकर हम सब रंगों का त्यौहार मनाते हैं

होली की हार्दिक शुभकामनाएं।

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8 MAR 2022 AT 12:57

हर खुशी के पीछे एक कष्ट छिपाए रहती है
अपनों के सामने वो हर दर्द दबाए रहती है
अपनों के घर पहुंचने में थोड़ी सी ही देरी होने पर
अपनी नज़रों को दरवाजे पर टिकाए रहती है

इतनी आसानी से संभव तो है नहीं कल्पना करना
उसके उन तमाम ओझ,ममता मय रूपों की
क्यूंकि वह
मां के रूप में अपने बच्चों को ममता
से दुलारती है
पत्नी के रूप में अपने पति का हर दुख
समानता से बांटती है
बेटी के रूप में अपने घर का काम
संभालती है
बहन के रूप में भाई को संवारती है
और जरूरत पड़ने पर दुर्गा बन
दुष्टों को धूल चटाती है

उस पीड़ा की कल्पना रोंगटे और कान खड़े कर देती है
जब एक स्त्री अपनी कोख से औलाद को जन्म देती है
मत पूछना उससे सबसे बड़ा कष्ट क्या होता है
उसके चेहरे पर बस मुस्कान देते रहो
यही उसके लिए प्यार का महत अर्थ होता है

भले ही इस दुनिया मे हर एक वस्तु का मोल हो
परन्तु मां तुम मेरे लिए हमेशा हीरे सी अनमोल हो


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6 MAR 2022 AT 12:21

ये वक्त तुम्हारा है

खड़े हुए हो तुम दो राहों पर, रुकते कदम बढ़ाना है
अब मुड़कर तुम पीछे न देखो,गुज़रा अतीत पुराना है
मंज़िल बैठी पुष्प बिछाए,हर बढ़ता कदम तुम्हारा है
राहों में कांटा भी फैला,कांटे ने भी तुम्हे सिखाया है
तुम बस दृढ़ शक्ति से बढ़ना क्यूंकि ये वक्त तुम्हारा है

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5 MAR 2022 AT 17:55

चोरी छिपे ये नजर मिलाने की कोशिश तो मैंने की
ज्यों मेरी तरफ देखा तुमने नज़रें हटाने की कोशिश की
अब मेरी मोहब्ब्त की मंज़िल हो तुम ही
इसलिए करीब आ तुमसे दूरियां मिटाने की कोशिश की

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26 JAN 2022 AT 9:30

देश प्रेम से संचित है दिल
रजभूमि से तन गुलजार है
जिस मातृभूमि में जन्म लिया
वह भारतवर्ष नाम विख्यात है

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25 NOV 2021 AT 17:38

चुप्पी साधे बैठा था मै अंदर से एक आग जली
अंध भरी इन आंखों को भी उम्मीद की वो ज्योत दिखी
अंदर से तर मै टूटा था मुझे विश्वास डगर फिर जोड़ चली
उठा तुरंत ही चिंगारी से, अन्तर्मन शक्ति नई राहों को खोज चली

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16 JAN 2022 AT 20:09

उठी तरंगे तलवारों की क्षण भर की भूख मिटाने को
नैन भरे हैं रक्त प्यास के क्षण भर के जश्न मनाने को
इंसानों की बस्ती में हर पल उसको टोका जाता है
और चले हो तुम भी उस पर अपना हक जताने को



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