विकल्प बनने से भी ..यू तो कोई एतराज नहीं मुझे पर विकल्प भी वहीं स्वीकार हैं...जहां मेरे अलावा और कोई पर्याय नहीं... -
विकल्प बनने से भी ..यू तो कोई एतराज नहीं मुझे पर विकल्प भी वहीं स्वीकार हैं...जहां मेरे अलावा और कोई पर्याय नहीं...
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अच्छा वो भी सिर्फ़ बातों में था...हक़ीक़त में वो भी बस इंसान सा ही था... -
अच्छा वो भी सिर्फ़ बातों में था...हक़ीक़त में वो भी बस इंसान सा ही था...
सूरत के ख़रीददारों के बीचमैं सीरत बेचने चला था...वो जिस्म कि तलाश में थे..मैं रूह कि नुमाइश कर रहा था... -
सूरत के ख़रीददारों के बीचमैं सीरत बेचने चला था...वो जिस्म कि तलाश में थे..मैं रूह कि नुमाइश कर रहा था...
जो ज़ुबा अब तक बया ना कर पाईवो सब अता ये बेज़ुबान कर गया...लोग कहते रह गए कि मोहब्बत हैं...साबित ये बेज़ुबा कर गया.. -
जो ज़ुबा अब तक बया ना कर पाईवो सब अता ये बेज़ुबान कर गया...लोग कहते रह गए कि मोहब्बत हैं...साबित ये बेज़ुबा कर गया..
क्यों चुभता हैं मुझे तेरा यू बदल जाना...कि फिर भरोसा कर रहा हू मैं...या फिर वही राहे बर्बादी की तरफ़ मेरा हो रहा है मुड़ जाना... -
क्यों चुभता हैं मुझे तेरा यू बदल जाना...कि फिर भरोसा कर रहा हू मैं...या फिर वही राहे बर्बादी की तरफ़ मेरा हो रहा है मुड़ जाना...
जो समझाया करता था हर बात..अब वो हम से सब समझ जाने की उम्मीद करता हैं.. -
जो समझाया करता था हर बात..अब वो हम से सब समझ जाने की उम्मीद करता हैं..
बड़े सस्ते में ख़रीद लेता हैं किसी का टूटा हुआ भरोसा कोई... -
बड़े सस्ते में ख़रीद लेता हैं किसी का टूटा हुआ भरोसा कोई...
शिकायते रखोगे मुझसे तो मुझे खो दोग़े...शिकवे जता देना...मैं सारे दूर कर दूँगा... -
शिकायते रखोगे मुझसे तो मुझे खो दोग़े...शिकवे जता देना...मैं सारे दूर कर दूँगा...
दरख़्तों से जिस तरह आती है रोशनी थोड़ी- थोड़ी कभी-कभी हमें भी मोहब्बत ऐसे ही दरख़्तों से मिली...अब ये क़िस्मत ख़राब थी हमारी या उनकी...कमबख़्त....जो भी मिली इन्ही दरख़्तों के बीच मिली .... -
दरख़्तों से जिस तरह आती है रोशनी थोड़ी- थोड़ी कभी-कभी हमें भी मोहब्बत ऐसे ही दरख़्तों से मिली...अब ये क़िस्मत ख़राब थी हमारी या उनकी...कमबख़्त....जो भी मिली इन्ही दरख़्तों के बीच मिली ....
कि कोई ना समझे अब हमें लगता इसी में अपनी भलाई हैं...चार दिन की चाँदनी बोहत देख ली...अंधेरो में ही कटे हर रात कर ली बस इसकी तैयारी हैं.... -
कि कोई ना समझे अब हमें लगता इसी में अपनी भलाई हैं...चार दिन की चाँदनी बोहत देख ली...अंधेरो में ही कटे हर रात कर ली बस इसकी तैयारी हैं....