इन मिठास भरे रिश्तों की डोर मजबूती से बंधी रहे। खुशियों की सुगंध इन रिश्तों में, हर पल महकती रहे। हमारे प्यार की पतंगे उस ऊँचे आसमान तक जाएं। चाशनी सिर्फ मिठाईयों में नहीं, लफ्ज़ों में भी घुलती रहे। इन मिठास भरे रिश्तों की डोर मजबूती से बंधी रहे।
नहीं लाते शिकायतें लबों पर, ना तकलीफों के ही चर्चे करते हैं। उन्हें ही मिलते हैं हुनर लड़ने के, जो किस्मत पर नहीं मेहनत पर खर्चे करते हैं। नहीं लाते शिकायतें लबों पर, ना तकलीफों के ही चर्चे करते हैं। उठाते हैं कदम काँटों पर भी, नज़र जो सिर्फ मंजिल पर रखते हैं। आँधियों में भी दौड़ने का जज्बा हो जिनमें कदम वो आखिर कहाँ थकते हैं। नहीं लाते शिकायतें लबों पर, ना तकलीफों के ही चर्चे करते हैं।
इस माटी में जन्म लेने के बाद, माटी पर गर्व करने वाले तो बहुत होते हैं। पर माटी को भी अपने बच्चों पर गर्व करने का मौका मिले। ऐसे बच्चे बहुत कम होते हैं। और इस माटी के एक ऐसे ही लाल को हम सभी ने खो दिया है।
अपने देश की मिट्टी की, बात ही निराली है। ये सिर्फ अनाज की फसल नहीं, बल्कि देशभक्तों की फसल भी पैदा करती है। कई महापुरषों ने इस मिट्टी में जन्म लिया। और इसी मिट्टी में विलीन हुए। ये मिट्टी सोना भी उगाती है, और हीरा भी। ये खाने को रोटी भी देती है, और पहनने को कपड़ा भी। इस मिट्टी में जिन्हें जन्म मिला ये उनका सौभाग्य है। पर जो इस मिट्टी में जन्म लेकर भी इसके ना हो सके। उनका जीवन ही एक दुर्भाग्य है।
इन निगाहों की गहराई में क्या-क्या समाया है। वो सब पढ़ा जा सकता है, इनमें जो-जो तुमने छुपाया है। पर पढ़ने के लिए इन्हें पहले अंदर झांकना होगा। तुम्हारे दुःख ,दर्द और खुशियाँ इन सबको मापना होगा। और इन्हें मापना बस उसी के बस में शामिल हो सकता है। जो तुम्हारी हँसी में हँस और दर्द में रो सकता है।
मुझसे बेहतर तो मेरे सपनों के हालात हैं कम से कम उन्हें तेरा साथ तो नसीब है। मैं तो बस तुझे रात दिन याद ही करता हूँ। मेरे सपने को देखो तेरे कितने करीब है।
तराशा है उसने तुझे कुछ ऐसा हुस्न देकर, कि तेरे दीदार से मेरी आँखों में भी चमक आ जाती है। तेरी मुस्कुराहट है या कोई अफ़्ताब है ये, तुझे मुस्कुराता देखूँ तो मेरी तबीयत ही बदल जाती है।