Amit Choubey   (अमित चौबे)
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Poet, Writer..📝
Nature Lover 🌿🌾❣️
Pet Lover 🦮🐈🐄🦜
Joined 22 December 2017


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29 MAR 2022 AT 0:19

कहाँ हमारी ख्वाहिश,
और कहाँ उनकी मर्ज़ी।
कह कर देख लिया हमने,
खारिज हो गई अर्ज़ी।

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14 JAN 2022 AT 8:42

इन मिठास भरे रिश्तों की डोर
मजबूती से बंधी रहे।
खुशियों की सुगंध इन रिश्तों में,
हर पल महकती रहे।
हमारे प्यार की पतंगे उस ऊँचे
आसमान तक जाएं।
चाशनी सिर्फ मिठाईयों में नहीं,
लफ्ज़ों में भी घुलती रहे।
इन मिठास भरे रिश्तों की डोर
मजबूती से बंधी रहे।

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12 JAN 2022 AT 21:39

नहीं लाते शिकायतें लबों पर,
ना तकलीफों के ही चर्चे करते हैं।
उन्हें ही मिलते हैं हुनर लड़ने के,
जो किस्मत पर नहीं मेहनत पर खर्चे करते हैं।
नहीं लाते शिकायतें लबों पर,
ना तकलीफों के ही चर्चे करते हैं।
उठाते हैं कदम काँटों पर भी,
नज़र जो सिर्फ मंजिल पर रखते हैं।
आँधियों में भी दौड़ने का जज्बा हो जिनमें
कदम वो आखिर कहाँ थकते हैं।
नहीं लाते शिकायतें लबों पर,
ना तकलीफों के ही चर्चे करते हैं।

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9 DEC 2021 AT 9:46

इस माटी में जन्म लेने के बाद,
माटी पर गर्व करने वाले तो बहुत होते हैं।
पर माटी को भी अपने बच्चों पर
गर्व करने का मौका मिले।
ऐसे बच्चे बहुत कम होते हैं।
और इस माटी के एक ऐसे ही लाल को
हम सभी ने खो दिया है।

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7 DEC 2021 AT 10:07

कुछ अहसास हमारे तुमसे हैं,
जो जुड़ चुके हैं अंदर तक।
शामिल रहोगे दुआओं में तब भी,
चाहे चले जाएं हम अंबर तक।

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5 DEC 2021 AT 14:35

अपने देश की मिट्टी की,
बात ही निराली है।
ये सिर्फ अनाज की फसल नहीं,
बल्कि देशभक्तों की फसल भी पैदा करती है।
कई महापुरषों ने इस मिट्टी में जन्म लिया।
और इसी मिट्टी में विलीन हुए।
ये मिट्टी सोना भी उगाती है,
और हीरा भी।
ये खाने को रोटी भी देती है,
और पहनने को कपड़ा भी।
इस मिट्टी में जिन्हें जन्म मिला
ये उनका सौभाग्य है।
पर जो इस मिट्टी में जन्म लेकर भी
इसके ना हो सके।
उनका जीवन ही एक दुर्भाग्य है।

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29 NOV 2021 AT 22:53

इन निगाहों की गहराई में
क्या-क्या समाया है।
वो सब पढ़ा जा सकता है,
इनमें जो-जो तुमने छुपाया है।
पर पढ़ने के लिए इन्हें
पहले अंदर झांकना होगा।
तुम्हारे दुःख ,दर्द और खुशियाँ
इन सबको मापना होगा।
और इन्हें मापना बस उसी के
बस में शामिल हो सकता है।
जो तुम्हारी हँसी में हँस
और दर्द में रो सकता है।

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24 NOV 2021 AT 22:32

मुझसे बेहतर तो मेरे सपनों के हालात हैं
कम से कम उन्हें तेरा साथ तो नसीब है।
मैं तो बस तुझे रात दिन याद ही करता हूँ।
मेरे सपने को देखो तेरे कितने करीब है।

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24 NOV 2021 AT 22:27

जितनी कही बातें लफ़्ज़ों ने,
वो दिल भर जाने से खुद बह गईं।
और जो कह ना सके लफ्ज़ मेरे
बातें सिसकियों में दब गईं।

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22 NOV 2021 AT 19:14

तराशा है उसने तुझे कुछ ऐसा हुस्न देकर,
कि तेरे दीदार से मेरी आँखों में भी चमक आ जाती है।
तेरी मुस्कुराहट है या कोई अफ़्ताब है ये,
तुझे मुस्कुराता देखूँ तो मेरी तबीयत ही बदल जाती है।

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