Amit Anant   (Amit anant PBH & Delhi)
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Joined 5 August 2019


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31 MAY AT 21:31



इस दिल ने तुम्हे जब पुकारा सनम।
नही तुम बने थे सहारा सनम।
तुम्हे इश्क़ में खोज कर जब थका,
किया बिन तुम्हारे गुजारा सनम।।

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24 MAY AT 14:43



कितनी बार पुकारा तुमको फिर भी तुम ना आये।
बोल बोल के दिल ये हारा अब ना तुम्हे बुलाये।
समय नही ग़र पास तुम्हारे वादा तुम क्यो करते,
कहती हो मैं साथ खड़ी हूँ फिर क्यो दिल तड़पाये।।

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23 MAY AT 21:36




मन बड़ा ही जटिल हो रहा है।
देखिए स्वाद में खो रहा है।
मानता है नही बात दिल की,
बीज सपनों का ये बो रहा है।।

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1 JAN 2022 AT 21:10

आप सभी को नूतन वर्ष
मंगलमय हो

इस नए वर्ष में आप बढ़ते रहे।
नित नए राह को आप गढ़ते रहे।
पूर्ण हो आप की हर मनोकामना,
नित बुलन्दी सभी आप चढ़ते रहे।।

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29 DEC 2021 AT 20:20

दिसम्बर जा रहा है, जनवरी भी आ रही है अब,
गयी वो तोड़ दिल मेरा, वही पछता रही है अब!!

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26 DEC 2021 AT 23:28

एक ग़ज़ल का प्रयास

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24 DEC 2021 AT 11:58

ज़रा सोचो,अगर बेटी न होती,हम कहाँ होते...?
तरस जाते बहन के बिन,बहुत हम भी यहाँ रोते!!

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22 DEC 2021 AT 14:44

कोशिश ही नही की आगे बढ़ने की जिसने,
उसे क्या पता कामयाबी क्या चीज है...?

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17 DEC 2021 AT 22:28

भाग्य के फूल को खुद खिलाना पड़े।
नींद से कर्म को खुद जगाना पड़े।
रात दिन मेहनत कर गिरे जो लहूँ,
उस लहूँ को प्रकृति में मिलाना पड़े।।

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12 DEC 2021 AT 22:15

कहा कुछ भी न हो फिर भी,
कहानी लोग गढ़ते है।
नही कुछ सोचते कोई,
जुबानी लोग पढ़ते है।।

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