फलक भी लबरेज़ होकर अजल की फरमाइश करता है,
आखिर तारे भी बहुत हैं और ज़िम्मेदारियां भी ।।
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बैठा तो था उस ऊपर वाले से रूबरू होने,
पर ख्वाइशों के बादलों ने सब कुछ छुपा दिया।
जब दिल को तसल्ली देकर उसका ज़िक्र किया,
मेरे अंदर ही वो मुझे बैठा नज़र आया।।-
Zindagi ko samjhana hi assan nahi,
ye to har pal ek naya mod leti ha.
Na chahte hue bhi kuch apno ko,
Ye peeche chod deti ha.
Ye tumpe choda ki tum unka haath thaam ke rakho, warna bich majdhaar me zindagi khud naata tod deti ha.-
Not everyone can understand and respect the purity, depth and value of the heart that chose them.
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उम्मीदें रखने से ही हम दरारें बना लेते हैं,
गर तेरा प्यार सच्चा है तो तू खुद ब खुद लौट आएगा।।-
Dilon ke faasle dekhne mein hi lambe lagte hai,
ek pyaar se badhya haath meelon ki dooriyan khatam kar deta ha-
माना कि जिंदगी में भाग दौड़ बहुत है,
पर एक पल ठहर के दिल रख लेते मेरा।
यूं तो मेरे गमों के समुंदर बहुत हैं,
पर कुछ आंसू पोंछ कर दिल रख लेते मेरा।
दुनिया की इस भीड़ में अकेले ही चलना पड़ता है,
एक बार हाथ थाम कर दिल रख लेते मेरा।।-
तू इक किर्तास है जो किताब की महबस में बंद है,
परवाज़ चाहिए तो फटना तो पड़ेगा।।-
तेरा टूट जाना मुझे गंवारा नहीं, मेरी लड़ाई तो उस रब्ब से है,
तुझे कैसे भूल सकता हूं, आखिर मेरा वजूद भी तो अब तुझसे है।
कुछ मजबूरियों के चलते कुछ दूरियां बन गई,
पर मेरी हर ख्वाइश का रास्ता भी तो बस तुझसे है।-
The gaps between the fingers can only be fulfilled if you are ready to ignore the shape, size and color of the other hand and then the obstreperous self easily finds her ataraxy moment.
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