Amisha Sinha   (Amisha Sinha (AmyDR))
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Joined 1 October 2021


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4 JUN AT 9:16

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2 JUN AT 18:25

मेरी अलमारी के किसी कोने में
एक घड़ी है, थोड़ी पुरानी...
वक़्त नहीं बताती, बस याद दिलाती है
उस वक़्त की जो गुज़र गया..

–अमीषा सिन्हा

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1 DEC 2024 AT 18:13

कैसे कह दूं मेरी दुनिया का हिस्सा हो तुम,
मेरी दुनिया के लिए तो एक अनजान किस्सा हो तुम..

ये phone ही तो है जो हमें आपस में जोड़ता है..
इसके अंदर मानो एक अलग ही जहान बसता है..
जहां हम अक्सर टकराते हैं
छोटी-बड़ी हर बात बताते हैं..
जहां मेरे status और तुम्हारी stories हैं,
पास होकर भी हममें यहां कितनी दूरी है..
चंद तस्वीरें हैं, कुछ यादें हैं
कहने को तो सब है, पर सब बीतें वक्त की बातें हैं..

पर इसके बाहर भी तो मेरी एक दुनिया है..
जहां मैं हूं, मेरी किताबें हैं
कुछ दोस्त हैं, अनेक बातें हैं..
जहां धूप है, बरसात है
और न जाने कितने एहसास हैं..

पर जहां तुम नहीं हो..
कहीं भी नहीं हो..

तो बताओ,
कैसे कह दूं मेरी दुनिया का हिस्सा हो तुम..
मेरी हक़ीक़त के लिए तो केवल एक किस्सा हो तुम...

–Amisha Sinha

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24 NOV 2024 AT 12:35

I am not the whiskey you want,
Neither the water that you need..
I am that wine you can't afford
Even in your wildest dreams..

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5 APR 2023 AT 21:25

I am not an open book,
to which anyone can take a look..

I am more like a vast sea,
No one knows what's hidden inside me..

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7 OCT 2022 AT 22:03

आज तो बादल भी केहेर ढा रहे हैं,
हर बूंद में तुम्हारा पैगाम ला रहे हैं...

हवाओं में भी तुम्हारे साथ होने का एहसास है,
आज कुछ तो है जो ख़ास है...

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1 SEP 2022 AT 7:11

Hey Everyone!!
It's my
🎉Birthday..🥳🎊

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28 AUG 2022 AT 9:23

माना कि मेरा प्यार सच्चा है..
मगर खुद को खोकर यदि तुमको पाना पड़े
तो यकीन मानो,
तुम्हारा ना होना ही अच्छा है..

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27 AUG 2022 AT 19:14

पर अब हर बरसती बूंद के साथ
ये प्रेम भी जगत में विनष्ट हो रहा है..

स्मृतियों के बादल भी छटने लगें हैं
आकाश अब फिर से स्पष्ट हो रहा है..

ये मेघ भी अब गरजते नहीं है,
इन्होंने भी अपना रूख मोड़ लिया है..

के तुम्हारी हर बेरूखी, हर बेपरवाही से,
मैंने भी अपना मुख मोड़ लिया है..

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26 AUG 2022 AT 13:58

सुना है तुम्हारे शहर में बारिश हो रही है..
लगता है बादलों ने मेरा पैगाम पहुंचा दिया..

क्या बताया उन्होंने तुम्हें
कि हर बरसती बूंद
मेरा विशुद्ध प्रेम है तुम्हारे लिए..

कि मेघों से घिरा ये आकाश
मेरा मन है जो घिरा रहता था
तुम्हारे ही ख्यालों से..

कि बादलों का ये गर्जन
मेरी नाराज़गी है
तुम्हारी हर उस बेरुखी के लिए,
जिससे अब फर्क नहीं पड़ता..

कि आज भी ये बारिश मुझे उतनी ही पसंद है
जितना किसी रोज़ तुम हुआ करते थे..

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