प्रश्न तो उठ ही सकते हैं महज इठलायी रसना से पल भर में,
पर पल भर में यूँ ही अचानक से फिर जबाव नहीं बन सकते।।
बिल्कुल उसी तरह जैसे बग़ैर माटी में ये हाथ साने और,
इसी माटी में बीजों को दबाए बिना महकते गुलाब नहीं बन सकते।।
जो लड़ते हैं युद्ध खुद के ही विरुद्ध वो जानते हैं कि,
बगैर संघर्ष किसी के लिए भारत रत्न जैसे खिताब नहीं बन सकते।।
यहाँ संगत ही तय करती है रंगत हर शख्स की वरना,
शराब में पिघले बग़ैर बर्फ के टुकड़े भी शराब नहीं बन सकते।।
बखान बखूबी किया जा सकता है किरदार का खुद के,
पर यह भी सच है कि बगैर चुप्पी साधे हम इंसान लाजवाब नहीं बन सकते।।
मैंने गौर से पढ़कर ये जाना है कुछ मुशर्रफ हस्तियों को,
कि जिल्लत से डरके हम कभी इतिहास की किताब नहीं बन सकते।।
मुट्ठी खोलकर जान हथेली पर धरके लड़ना भी पड़ता है बुराई से,
महज एक दिन मुट्ठी बंध करके नारे लगा देने से देश में इंकलाब नहीं बन सकते।।
(रसना-जीभ) (मुशर्रफ हस्ती-सम्मानित
सफल इंसान) (जिल्लत-बेइज्जती) (इंकलाब- क्रांति)
जय हिंद की सेना🙏🇮🇳
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