@Amisha rathore   (अमिषा राठौर..)
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Joined 22 August 2020


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26 JAN AT 14:50

प्रश्न तो उठ ही सकते हैं महज इठलायी रसना से पल भर में,
पर पल भर में यूँ ही अचानक से फिर जबाव नहीं बन सकते।।

बिल्कुल उसी तरह जैसे बग़ैर माटी में ये हाथ साने और,
इसी माटी में बीजों को दबाए बिना महकते गुलाब नहीं बन सकते।।

जो लड़ते हैं युद्ध खुद के ही विरुद्ध वो जानते हैं कि,
बगैर संघर्ष किसी के लिए भारत रत्न जैसे खिताब नहीं बन सकते।।

यहाँ संगत ही तय करती है रंगत हर शख्स की वरना,
शराब में पिघले बग़ैर बर्फ के टुकड़े भी शराब नहीं बन सकते।।


बखान बखूबी किया जा सकता है किरदार का खुद के,
पर यह भी सच है कि बगैर चुप्पी साधे हम इंसान लाजवाब नहीं बन सकते।।

मैंने गौर से पढ़कर ये जाना है कुछ मुशर्रफ हस्तियों को,
कि जिल्लत से डरके हम कभी इतिहास की किताब नहीं बन सकते।।

मुट्ठी खोलकर जान हथेली पर धरके लड़ना भी पड़ता है बुराई से,
महज एक दिन मुट्ठी बंध करके नारे लगा देने से देश में इंकलाब नहीं बन सकते।।

(रसना-जीभ) (मुशर्रफ हस्ती-सम्मानित
सफल इंसान) (जिल्लत-बेइज्जती) (इंकलाब- क्रांति)

जय हिंद की सेना🙏🇮🇳

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7 SEP 2023 AT 9:30

आपके अंदर चाहे कितनी भी खूबियां क्यों न हो पर रिश्तेदारों का आपके प्रति व्यवहार आपके बाप की कमाई और व्यवहार पर निर्भर करता है।

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17 DEC 2022 AT 15:50

दिनभर घूमते हैं पहनकर नकाब रईशी का हम,

शाम होते ही फिर लौट आते हैं अपने गरीब झोपड़े में,,

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13 DEC 2022 AT 19:34

किरदार अपना तू ऊँचा कर इतना,
कि पक्ष,विपक्ष में चर्चा हो बस तेरी,,

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29 OCT 2022 AT 21:04

यकीनन इक रोज बहुत ही परेशान होकर,
किस्मत थक जाएगी मेरी हिम्मत से हैरान होकर ।
सबब ठोकरों का महज गिरना ही नहीं होता,
जिंदगी तु भी देखेगी मेरी जीत को बेजुबान होकर ।
ये तमाम दुख भी दम तोड़ ही देगें इक दिन,
फिर इक रोज होगी सुकून की शाम यहां भी ।
मेरी आँखो में दबा है जो सुकुन ख्वाब की तरह,
मेरी चौखट पर आएगा इक रोज मेरा मेहमान होकर ।
ये वक्त है जो डराता-धमकाता है पल-पल,
ये वक्त भी यकीनन इक रोज गुजर जाएगा।
तहों तले दबे इस चेहरे की हंसी को भी,
देखेगा इक रोज इकजुट सारा जहान होकर ।
यकीनन इक रोज बहुत ही परेशान होकर,
किस्मत थक जाएगी मेरी हिम्मत से हैरान होकर ।

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16 OCT 2022 AT 8:57

एक दिन तुम इस तरह से थक जाओगे,भर जाओगे
इस दुनिया से,लोगों से और तमाम सारे कामों से...
कि तुम चाहोगे सोना मेरी गोद में सर रखकर और एक छोटे बच्चे की तरह मेरा हाथ पकड़कर...।

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30 SEP 2022 AT 14:45

And one day i accepted the reality of life...
I understood that I can never change the thoughts of society, of world...this journey of pain made my heart strong...and now I understand that we should happy with things are in our life...
I'll never want to go back in that painful life...I'm happy with me and God made me perfect so I don't need of any to spend my life...

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18 SEP 2022 AT 8:31

The person who can leave you once who can leave you the second time too...
So be careful with the peoples...choose a best partner for you who respects you and understands your value too...
Don't waste your time and your quality for the fake peoples...✨️🙏💕

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12 AUG 2022 AT 16:58

मन शांत हो तो पुण्य किया,मन विचलित तो पाप,

पुण्य किए तो सुख भोग 'अमिषा' वरना कर बस संताप,,

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11 AUG 2022 AT 22:24

घर-परिवार को छोड़कर,दुनिया से भागकर,सन्यासी बनकर तप करना आसान है,परन्तु सन्यास भक्ती और तप का आधार नहीं है,
वास्तविक तपस्वी वह है जो परिवार के,समाज के बीच रहकर भी ईश्वर को स्मरण रखे और दुनिया के बीच रहकर प्रत्येक बन्धन,प्रत्येक रिश्ते का निर्वाह करे परन्तु किसी भी रिश्ते को स्वयं पर इतना हावी न होने दे कि मन ईश्वर को ही भूल जाए।
जय माता दी🙏✨️

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