वो आंखों से मुस्कुराते थे,
और मैं डूब जाता था।
दरिया से गुज़र जाते थे,
जब वो हमसे नज़र मिलाता था।
तुम आना तो यादें साथ लाना,
कुछ उलझनें सुलझाना है।
मैं डूब जाऊंगा फिर से उनमें,
तुम्हे फिर से मुस्कुराना है।
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कभी उम्र भर के वादे,
किए थे एक लम्हे में।
एक लम्हा भी उनका,
कभी हमारा न हुआ।
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मैं हूं इंतजार में,
दिल नहीं है इख्तियार में।
ये साल का आखिरी लम्हा,
क्या संग मेरे बिताओगे?
क्या आज तुम आओगे?
मैं वक्त को जोड़ दू,
इस साल से अगले साल में।
कुछ लम्हे में होगा एक साल का सफ़र,
क्या इस सफ़र के हमसफ़र बन जाओगे?
क्या आज तुम आओगे?-
सुना है वो मेरी हर शायरी पढ़ती है,
मेरे अल्फाजों में छुपे अपने नाम को ढूंढती है।
लो करता हूं फिर मैं उसकी सादगी बयां,
हो जैसे फलक पर कोई माहताब अयां।
हो जाती है रौशन दिल की ज़मी,
जब उसकी एक झलक दिल पर पड़ती है,
सुना है वो मेरी हर शायरी पढ़ती है,
मेरे अल्फाजों में छुपे अपने नाम को ढूंढती है।
मिल जायेगा गर वो किसी रोज़,
तो करूंगा बेइंतहा सवाल उस रोज़
है भले ही हम एक दूसरे से जुदा,
उसके बिना चैन नहीं पड़ती है।
सुना है वो मेरी हर शायरी पढ़ती है,
मेरे अल्फाजों में छुपे अपने नाम को ढूंढती है।
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अब क्या ही करेंगे हम,
अपना सब हार जाने के बाद,
क्या वो अब भी मना लेगा मुझे,
मेरे रूठ जाने के बाद?-
हम जिनके इंतजार में है,
उनको हमारी ख़बर नहीं।
ऊपर से मसला ये है,
कि एक पल की सबर नहीं।-
बहती नदियों सा नहीं,
समन्दर सा मिजाज़ है।
तबाही बड़े पैमाने पर करते है,
और ये सिर्फ़ आगाज़ है।-
न तू खुदा है न तेरा कोई गुलाम है,
न तू हमारा रहनुमा न तुझसे मेरी दुआ सलाम है।
इन हरकतों के अंजाम से शायद अनजान है तू,
जो हुए शहीद अपने हक के लिए
वो भी तो आखिर किसी के लाल है।
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वो एक दिन मुझसे बोली
कि तुम्हारी दुआ कुबूल हो गई,
तेरा रकीब मुझको बहुत चाहता है।
अगर वो नादान है इश्क़ में
तो उसको इतना भी बता दो।
कि बात तो यहां सिर्फ तेरी खुशी की थी,
वरना सच में ऐसा कौन चाहता है।-