Ameer Uddin   (Ameer Uddin)
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नाम का मुस्लमान हूं मैं
इसलिए परेशान हूं मैं
Joined 2 April 2019


नाम का मुस्लमान हूं मैं
इसलिए परेशान हूं मैं
Joined 2 April 2019
14 AUG 2022 AT 23:32

मैं एक ऐसा हिंदुस्तान देखना चाहता हूं
राम और रहीम को साथ देखना चाहता हूं
एक ही में थाली दोनो को खाते देखना चाहता हूं
साथ में ही मंदिर मस्जिद जाते देखना चाहता हूं
मुझे लगता है शायद ये नेता ऐसा होने देंगे
अपनी बातों में उलझा कर हमें बस दंगा देंगे
कुछ गुजरात देंगे तो कुछ मुजफ्फरनगर देंगे
इससे ऊपर उठ भी गए तो ये हमें
कानून के नाम पर CAA और किसान बिल देंगे
फिर भी कुछ रह गया तो ये हमें
मंदिर मस्जिद में लगा देंगे
इस सब के बाद तो लगता है
ये मेरा सपना पूरा नहीं होने देंगे

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22 JAN 2022 AT 15:35


सांवला रंग

किसी शायर की किताब हो तुम,
किसी खेल का खिताब हो तुम,
खर्चे बहुत है कलम के,
शायद पन्नो का हिसाब हो तुम,
रंग सांवला ही सही,
पर चाय की तरह लाजवाब हो तुम!

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2 NOV 2019 AT 23:11

इस जवानी में कर लो
जितने कर सकते हो सज़दे
मैंने बुढ़ापे में अक्सर लोगो को
बिन सज़दे नमाज़ पड़ते देखा है

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26 OCT 2019 AT 23:48

लकीरै खींची हैं लोगो ने थाली में

वरना फर्ख क्या है मेरी ईद तेरी दीवाली में

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14 JAN 2022 AT 16:07

दोस्ती / प्यार

जब सबने दोस्ती को प्यार बोला
उनकी बातों पर हंसे थे हम

एहसासों ने यूँ रुख बदला
फिर ख़ुद की बातों में फंसे थे हम

कहां मालूम था की
हमें उनकी आदत लग जायेगी

अब दिल की बात कैसे कहें
दोस्ती के रिश्ते से बंधे थे हम


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6 DEC 2021 AT 11:26

तुम्हारे आंकड़ों मे हमारी
कहीं गिनती नही है
तुम्हारे वास्ते हम इंसान नही हैं
तुम्हारे वास्ते हमारा कोई मान नही है
तुम्हारी नजरों मे हमारा कोई कद नही है
तुम्हारे जुल्म की हम पर कोई सीमा नही है
तुम्हारे जुल्म की हम पर कोई हद नही है
जब चाहा ठूस दिया जेलों मे
जब चाहा रिहाई देदी
जब चाहा रौंद दिया,जब चाहा रूसवाई देदी
तुमने गद्दार लिखा तो गद्दार कहलाये हम
तुमने वफादार लिखा तो वफादार कहलाये हम
क्योंकि तुम हाकिम ऐ शहर हो
तुमने जो लिख दिया माथे पर,उसका कोई रद्द नही है
तुम्हारे जुल्म की हम पर कोई सीमा नही है
तुम्हारे जुल्म की हमपर कोई हद नही है

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4 SEP 2021 AT 18:02

मोहब्बत हो गई है उनसे ये उन्हें कैसे बताये हम,
तारीफ़ करें, सज़दा करें या उन्हें सीने से लगाये हम..!

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1 AUG 2021 AT 10:30

आग लगी थी मेरे घर में
सब जानने वाले आये
हाल पूछा और चले गये
एक सच्चे दोस्त ने पूछा
क्या क्या बचा है..?
मैंने कहा कुछ नहीं
सिर्फ मैं बच गया हूँ
उसने गले लगाकर कर कहा...
तो फिर जला ही क्या है...

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30 JUN 2021 AT 11:14

दे पाऊं इस जहां की सारी खुशियां मैं उन्हें,
मैं बस इतना ही "अमीर" बनना चाहता हूं,
दे पाऊं इस जहां की सारी खुशियां मैं उन्हें,
मैं बस इतना ही "अमीर" बनना चाहता हूं,
जीता होगा ज़माना खुद की ख्वाहिशों के लिए,
मैं आने मां बाप के लिए जीना चाहता हूं।।

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18 MAY 2021 AT 16:59

कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको,
चलो ऐसा करो भूला दो मुझको।।
अपने दिल में बसी तस्वीर मेरी ,
ऐसा करो जला दो उसको।।
मेरी वफ़ा पर अगर शक है तुमको,
तो फिर नज़र से गिरा दो मुझको।।
कुछ तो तरस करो अपने दीवाने पर,
जाम ना सही ज़हर पिला दो मुझको।।
तुमसे बिछडू तो मौत आ जाये,
दिल की गहराइयो से ऐसे दुआ दो मुझको।।

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