👑 Ambuj 👑
If u r his girl he'll take care of u like a little princess of his.
He thinks about only the lucky girl he loves and no one else.
Strong opinions but has an open mind.
Everyone likes him.
If you ever find he just hold on tight and never let go cause he is a gem.
A smart, talented and humorous guy, who likes to take charge.
Many ppl find he rude and arrogant but he is the best and thus has many enemies.
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ल... read more
तन्हा बैठा था एक दिन मैं अपने मकान में,
बुलबुल ( चिड़िया) बना रही थी घोंसला रोशनदान में।
पल भर में आती पल भर में जाती थी वो,
छोटे छोटे तिनके चोंच में भर लाती थी वो।
बना रही थी वो अपना घर एक न्यारा,
कोई तिनका था, ना ईंट उसकी कोई गारा।
कुछ दिन बाद....
मौसम बदला, हवा के झोंके आने लगे,
नन्हे से दो बच्चे घोंसले में चहचहाने लगे।
पाल रही थी बुलबुल उन्हे,
पंख निकल रहे थे दोनों के,
पैरों पर करती थी खड़ा उन्हे।
देखता था मैं हर रोज उन्हें,
जज्बात मेरे उनसे कुछ जुड़ गए ,
पंख निकलने पर दोनों बच्चे,
मां को छोड़ अकेला उड़ गए।
बुलबुल ( चिड़िया )से पूछा मैंने..
तेरे बच्चे तुझे अकेला क्यों छोड़ गए,
तू तो थी मां उनकी,
फिर ये रिश्ता क्यों तोड़ गए?
बुलबुल बोली...
परिन्दे और इंसान के बच्चे में यही तो फर्क है,
इंसान का बच्चा.....
पैदा होते ही अपना हक जमाता है,
न मिलने पर वो मां बाप को,
कोर्ट कचहरी तक भी ले जाता है।
मैंने बच्चों को जन्म दिया,
पर करता कोई मुझे याद नहीं,
मेरे बच्चे क्यों रहेंगे साथ मेरे
क्योंकि मेरी कोई जायदाद नहीं।
वक़्त...इज़्ज़त...और
एतबार....ऐसे परिंदे हैं....
जो एक बार उड़ जाएँ
तो वापस नहीं आते.....✍🏻🙏🏻-
ungaliyaan unhee par uthatee hai, jo aksar begunaah hote hai…
tumhaare savaalo ke javaab beshak hamaare paas nahin, lekin bas yahee kahana chaahenge ki ham galat nahin !....
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जब आज से 15 - 20 साल बाद
तुम लोग अपने बड़े से घर की,
बड़ी सी बालकनी में बैठे होंगे || अकेले "
तब यह कॉलेज के दिन ,
यह दोस्त याद आएंगे |
और उनके साथ बिताए हुआ वक्त••••"
अगर तुम चाहते हो,
तो उस बालकनी में,
तुम अकेले ना बैठो, तुम्हारे दोस्त भी तुम्हारे साथ हो |
तो आज अगर उनके साथ
कुछ बात ऊपर नीचे हो जाए !
तो या तो उन्हें माफ कर दो या उनसे माफी मांग लो ❣
क्योंकि यह तो दोस्त है💫😊-
मां मैंने सब कुछ सुनना है
माँ के पेट के भीतर से….
‘एक छोटी बहन मुझे देना माँ….
एक जोर का चाँटा उसे जड़ देती माँ,
और रो-रो कर, ये कहती थी….
माँग तू एक भाई अब,
बेटी का जीवन मुश्किल बहुत।
दादी भी बेटा माँगे,
माँ भी अब भगवान् से अपने,
मेरे बदले में बेटा माँगे….
फिर भी मैंने सोच लिया,
सबका मन मैं हर लूँगी….
मैं अपनी नटखट बातों से,
सब को खुश कर दूंगी …..
पर मुझको इतना वक्त ना दिया,
मेरे पिताजी ने ऐसा पाप किया,
मालूम कर कि मैं लड़की थी,
मुझको पेट में ही मार दिया। …
माँ को मैं “माँ” भी न कह सकी,
क्यों ऐसा मेरे साथ किया ?
जीवन का सुंदर ख्वाब दिया,
फिर मौत की आग में झोंक दिया,😔
बेटी बन क्या मैंने कोई पाप किया ???😔😔
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अच्छा है ओ हवा!
जो तेरा कोई जाति नहीं है,
तेरा भी जाति होती तो
कितनों का दम तो यूँ ही घुट गया होता।
वे लिखते हैं हम हिन्दू हैं, हम मुस्लिम हैं, हम सिख और इसाई है,
सब इक दूसरे पर हँसते हैं,
जैसे ऊदई वैसे भान।
धरम-जात हिंदू और मुस्लिम
बस इतनी सबकी पहचान।
जी करता है तोड़ दूं,
धर्म-जात वाली दीवार।
कागज-पत्तर फाड़के फेंकूँ,
सब बँटवारे के सामान।
नाम के खाने में लिख डालूँ,
केवल और केवल 'इंसान'।
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फुटपाथ पर ही भीख़ मांगता हैं !
फुटपाथ पर ही सो जाता हैं !
लाचार भिखारी हैं ना साहब अक्सर !
फुटपाथ पर ही मर जाता हैं!!-