मुझे गलत न समझिए जनाब इतने तपाक से,
मैं सही भी तो हो सकता हूं किसी इत्तेफाक से,
कभी कभी सोचता हूं और टूट जाता हूं फिर,
किस्मत नहीं शियाकतें हैं दोस्त अपने आप से।।
साथ रहना साथ जीना और देखना साथ साथ,
दिया जला कर लाउंगा एक दिन आफताब से ।
मुझे जीने के लिए बस इतनी वजह काफी है,
आंख मिला सकता हूं मैं अपने मां और बाप से।।-
खामोश पड़े है मेरे लब काफी देर से,
मैं कुछ बोलूंगा और तुम चली जाओगी।
तुम साथ हो ये मुझे ख्वाब सा लगता है,
मैं आंख खोलूंगा और तुम चली जाओगी।।-
तेरे साथ तो ठीक तेरे बाद नहीं देखा जाता,
यार अब मुझसे ये चांद नहीं देखा जाता,
मेरे दुश्मन सब से ये कह रहे हैं आज कल,
मुझको होता ऐसे बर्बाद नहीं देखा जाता।
अमीनाबाद की क्या बताऊं यार मुझसे,
आजकल तो इलाहाबाद नहीं देखा जाता।
एक ख्वाब ने मेरी ये हालत कर दी है,
अब चाह कर भी ख़्वाब नहीं देखा जाता।-
एक सुहानी शाम थी ढलते ढलते चली गई,
मैं सुन नहीं पाया वो कुछ कहते कहते चली गई,
एक दिन हमने उसको प्यार से प्यार बोला था,
उसने मुझे दोस्त कहा और हंसते हंसते चली गई।
वो क्या हुआ की बाल उसके फंस गए मेरी बटन में,
एक मेरी जान थी गले मिलते मिलते चली गई।
उस हादसे के बाद से मैं जिंदगी के साथ हूं,
जिस हादसे में जां मेरी बचते बचते चली गई।-
जिंदगी हर बार हमें यही एक चीज सिखाती है,
कोई दर्द का साथी है, दर्द किसी का साथी है।
उसने मुझसे पूछा कि अब नींद कन्हा से आती है,
हंस कर बता दिया कि, मां लोरी गा के सुलाती है।
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सुगंध बेचनी थी हमको तो गुलाब बेचने लगे,
अपनी आंखों से चुराए और ख्वाब बेचने लगे।
जिंदगी इस मोड़ पर ले आया है दोस्त मेरे,
धंधा नहीं करना था पर अल्फाज़ बेचने लगे।-
अपने सारे जख्मों पर नमक लगा के रोऊंगा,
आज मैं उसकी तस्वीरों को जला के रोऊंगा,
जिन जिन को लगता है मुझे रोना नहीं आता,
मैं उन सबको बुलाऊंगा और दिखा के रोऊंगा।
ये कैसा शब्द है मर्द मुझे रोना नहीं देता है ,
ये मर्दानगी का पर्दा इक दिन हटा के रोऊंगा।
जिनको मुझसे नफरत है उनका नही पता लेकिन,
जो मुझसे प्यार करते हैं उन्हें रुला के रोऊंगा।
मेरे सारे यारों को अब नए लोग मिल जाते हैं,
मैं भी अब एक दोस्त नया बना के रोऊंगा।।-
जो मेरी बुराइयां रोके वो बाधा बनोगी क्या,
आधा तो मैं हूं अभी तक आधा बनोगी क्या,
एक मुद्दत से साथ में है चलो पूछ लेता हूं,
एक बात बताना यार मेरी राधा बनोगी क्या?-
जब से खुद की पहचान हो गई साहब,
जिंदगी काफी आसान हो गई साहब,
वो लड़की जिससे खून का रिश्ता था,
वही बहन आज मेहमान हो गई साहब।
तुम मुठ्ठी भर जमीन के लिए लड़ते रहो,
मेरी मंजिल अब आसमान हो गई साहब।
मैंने परिंदों से बात कर रखी है पहले ही,
उनके साथ मेरी उड़ान हो गई साहब।
अब तेरे आने पर भी तेज नहीं होती,
मेरी धड़कनें अब सावधान हो गई साहब।
मैंने जिस लड़की को खुदा बनाया था ,
किसी के इश्क में इंसान हो गई साहब।-
रात हो चुकी काफ़ी गहरी अब तो सो जा मेरे पागल दिल,
कुछ ख्वाब देख ले मर्ज़ी से और खो जा मेरे पागल दिल,
किस बात का गुस्सा है ये कलम उठाई फिर क्यों तुमने,
बात है उसकी इज्जत की चल चुप हो जा मेरे पागल दिल।-