कर्तव्यनिष्ठ, धर्मपरायण, नियमों पर अडिग ;
ग़र कुछ मसौदे यहाँ पर धूल फाँकते पड़े हैं !
तो अति व्यवहारिक, निजहितों के समर्थक ;
मेहनतकश मुर्दे भी, कई-सौ कब्रों में गड़े हैं !
निज-अस्तित्व को मिटाकर, जो बने हैं नींव ;
गुमनाम हैं किंतु अमर गाथा टिकाएँ खड़े हैं !
ग़र मन छोटा कर सिसक उठें ये नींव की ईंटें,
ध्वस्त कर देंगी ईमारतें, जिनपर आप खड़े हैं !
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