जब नाव जल में छोड़ दी
मझधार में ही मोड़ दी
दे दी चुनौती सिंध को
तो धार क्या मझधार क्या-
क्षणिक गुस्सा आपके बने संबंध को भी बिगाड़ सकता है और क्षणिक धैर्य आपके बिगड़े संबंधों को भी संवार सकता है।
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कोई कुछ भी बोले अपने को हमेशा शांत रखो।
क्योंकि धूप कितनी भी तेज हो जाए, वो समुन्द्र को कभी सूखा नही सकते!!-
वक्त की अहमियत जिस ने समझ ली, उसने काफी समझ हासिल कर ली। बस वक्त-वक्त की बात है थोड़ा वक्त लगता है, वक्त को और बेहतर होने में।
"वक्त ही बादशाह है रे बाबा"-
वह मूर्ख होता है जो सिर्फ सच को ही जानता है और सच व झूठ के फर्क को नहीं जानता है।
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बदला लेना हर बार सही नहीं होता, लेकिन माफ कर देना भी हर बार सही नहीं होता।
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गलतफहमियों में उपजे प्रश्न और प्रश्नों के उत्तर स्वयं
तैयार कर लेने के वजह से कई परेशानियां उपजती हैं।-
यह जीवन शब्द निरंतर प्रगति का पर्यायवाची है। इस प्रतियोगिता से भरे जीवन में रोज आपको कुछ नया सीखने की प्रवृति का पोषण करना चाहिए। यह विश्व अनेक नए पुराने विचारों से भरा पड़ा है। अतः जिस दिन आपकी सीखने की प्रगति समाप्त हो गयी या रुक गयी उस दिन आपके जीवन की प्रगति, आपके विचारों की प्रगति, और आपके अस्तित्व की प्रगति रुक जाएगी।
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