किसी की जान से बढ़कर...........
न कोई ईश्वर है
न कोई ज्ञान है.........
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शरीर रूपी दीपक का बुझना शाश्वत एवम सत्य है लेकिन तूफ़ान आने से पहले उसे उचित सुरक्षा न देना हमारे बोध पर प्रश्न चिन्ह है.....
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ज़िक्र क्या जुबां पर नाम ही नहीं
इससे बढ़कर कुछ इंतकाम ही नहीं
Dr Vikas Divyakirti
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यदि तुम्हारे घर के किसी कमरें में आग लगी हो
तो क्या तुम दूसरे कमरे में सो सकते हो
यदि तुम्हारे घर के किसी कमरे में लाशें सड़ रही हों
तो क्या तुम दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो
अगर हां तो मुझे तुमसे कुछ नहीं कहना
आदमी की जान से बढ़ कर कुछ भी नहीं
न ईश्वर
न ज्ञान
न चुनाव-
दुनियां में दो चीजें बड़ी ही सिद्दत के साथ पढ़ी और सुनी जा रहीं है...... एक है News,
दूसरी है फेक News
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प्यार तो तुमसे हुआ था लेकिन मेरी नियति (destiny) कहीं और है....... मैं उसी की तलाश में हूं
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तुमको वैसा नहीं देखा जैसा थी....
बल्कि वैसा देखा जैसा मै देखना चाहता था-