हर दिन आती है सुबह निराली
हर दिन आँगन मे चेहचाहती है तुलसी पर
एक कोयल निराली।
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है चहरे पर मुस्कुराहट मगर उदास है ,जिंदगी
कहने को है अल्फाज़ बहुत मगर खामोश है जिंदगी।।
जिंदा है आज भी इस दुनियाँ के लिए,,
मगर , मर गयी मेरे भीतर अरसो पहले ही ज़िंदगी।।
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अब मेरा दिल कोई नही तोड़ सकता
क्यू की उसका पाउडर बन चुका है
,😁🤣😁🤣😁🤣😁😂😂😂😂
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यूं तो है नहीं दिल इतना मकीन मेरा
मगर जी लेता हुँ रोज़ एक मयूख की तलाश में।-
रोउ तेरे साथ कि मरहम लगाउ अपने जख्म पर
रहना है तैयार ताउम्र एक नए जख्म के लिए
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आज गुलाब मेरे बगीचे का
खो गया अचानक कहीं।।
ले गया कोई वक्त का गिद्द
जो था मेरा , मगर मेरा नहीं ।
जानता था जायेगा एक दिन छुड़ा के दामन मुझसे, मगर आएगा वो पल यूँ यकायक था कोई इल्म इसका इन आँखों को नहीं
इस टूटे दिल को महका देती थी जिसकी खुशबुए
खो जायेगा मुझसे यूँ अचानक था सोचा ही नहीं
है न जाने कैसा वक्त को ये रंज मुझसे
छीन लेता है दिल का कोई मनोयज्ञ मुझसे
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आँसुओ मे डूबती शामे देखी है
भारी पलकों मे उगता सूरज देखा है
इन बारिशो ने-
इन आँखों ने देखा ,मगर जहां को खबर नही
मेरे दिल ने चाहा था कुछ टूट कर , मगर जहां को खबर नही
मर गया है इक कोई मेरे भीतर रहने बाला , मगर जहां को खबर नही
सुनना था जो कह पाया नही , मगर जो कहा उसकी जहां को खबर नही-