Ambar / امبر   (Ambar)
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Joined 15 June 2019


Joined 15 June 2019
30 JUN AT 21:32

क़सम से हमारा ये दिल कह रहा है 
तुम्हें  ताड़ने  का  अलग ही मज़ा है 

ज़रा भी बची अब न शर्म-ओ-हया है
इन अखियों से जैसे शराफ़त ख़फ़ा है

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26 JUN AT 22:29

यूँ दिल की गली से हज़ारों गए
मगर एक चेहरा ठहर सा गया

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26 JUN AT 22:28

जिसे ख़्वाब में भी मै छू न सका
तमन्ना भी दिल ने उसी की करी

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25 JUN AT 22:19

तमन्नाएं बहुत सी हैं मेरे में
मगर तुम से बड़ी कोई नहीं है

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23 JUN AT 22:22

वैसे ही छोटी सी दुनिया है मेरी
उसमें भी तुम नम्बर वन पे रहते हो

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20 JUN AT 0:22

तेरी परछाई का कुछ टुकड़ा ही मुझको छू जाए
मैं समझूंगा मुझको रब ने जन्नत बख़्शी धरती पे

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19 JUN AT 23:55

बहुत सी चाँद की परछाई देखी
नहीं देखा तो केवल आप जैसा

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16 JUN AT 21:04

वैसे तुम्हें देख के ऐसा लगता है जैसे
चाँद की सभी किरणों ने एक साथ तुम पे दृष्टि डाल दी हो

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10 JUN AT 22:40

लिस्ट बनाए फिरता हूँ मैं तुझसे की हर बातों की
तेरे दिल में आ जाने से नींद गई है रातों की

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10 JUN AT 21:33

ज़िंदगी बन कर नहीं तो मौत बन कर ही सही
मैं ख़ुशी से मर मिटुँगा लग गले इक बार तो

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