क़सम से हमारा ये दिल कह रहा है
तुम्हें ताड़ने का अलग ही मज़ा है
ज़रा भी बची अब न शर्म-ओ-हया है
इन अखियों से जैसे शराफ़त ख़फ़ा है-
Ambar / امبر
(Ambar)
7 Followers · 6 Following
Joined 15 June 2019
30 JUN AT 21:32
20 JUN AT 0:22
तेरी परछाई का कुछ टुकड़ा ही मुझको छू जाए
मैं समझूंगा मुझको रब ने जन्नत बख़्शी धरती पे-
16 JUN AT 21:04
वैसे तुम्हें देख के ऐसा लगता है जैसे
चाँद की सभी किरणों ने एक साथ तुम पे दृष्टि डाल दी हो-
10 JUN AT 22:40
लिस्ट बनाए फिरता हूँ मैं तुझसे की हर बातों की
तेरे दिल में आ जाने से नींद गई है रातों की-
10 JUN AT 21:33
ज़िंदगी बन कर नहीं तो मौत बन कर ही सही
मैं ख़ुशी से मर मिटुँगा लग गले इक बार तो-