चलो इक साथ बिछड़ते हैं
एक नई कहानी से जुड़ते हैं
ना तुम मुझे याद रखना
ना मैं तेरी बात करूँगी
चलो अब अजनबी बनते हैं
चलो इक साथ बिछड़ते हैं
ना सोचना उन वादों का
ना साथ रहने के इरादों का
चलो सारे कसमों से मुकरते हैं
चलो इक साथ बिछड़ते हैं
क्या करना बेजान रिश्तों का
फ़रेब से भरे इन नातों का
चलो एक साथ इन्हें तोड़ते हैं
चलो इक साथ बिछड़ते हैं-
A wannabe free soul.
Trying to express something
unexpressed.
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ख़ुशी के महफ़िल में भी कई चेहरे उदास है
हाथों में जाम फिर भी आँखों में प्यास है-
राधा के हृदय में जो करे वास
गोपियों संग जो रचाये रास
सांवली सूरत मदनयनों वाला
वासुदेव के कान्हा, नंद के गोपाला
देवकी का वो नंदन, यशोदा का है नंदलाला-
महबूब ही जरूरी नहीं बन्दगी के लिए
दोस्त ही काफ़ी है सुकून-ए ज़िन्दगी के लिए-
कृष्ण के साथ होली खेलती राधिका प्यारी
प्रेम रंग में डूबी वृन्दावन की गलिया ये सारी-
कितनी बार कहा तुमसे
नज़रे ना मिलाया करो हमसे
कोई ऐतबार नहीं इस दिल का
कहिं हो जाये ना गुस्ताखी इससे
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लौट जाना चाहते है बचपन की उन गलियों में
जब ज़िन्दगी नहीं कटती थी किसी उलझन में
लबों पर रहती थी हर पल सिर्फ़ मुस्कुराहट
वक़्त नही गुज़रती थी बेवजह की ग़मो में
न कोई शिकवा और ना ही थी शिकायत
सभी के लिए बस प्यार ही था दिलों में
मासूमियत से भरे थे बातें और ख्वाइशें
चैन-ओ-सुकून ही था उन लम्हों में
लौट जाना चाहते है बचपन की उन गलियों में
जब ज़िन्दगी नहीं कटती थी किसी उलझन में-