किसी का भविष्य पहले से निर्धारित नहीं होता,
यह बस वर्तमान के कर्म पर निर्धारित है
कि आपका भविष्य क्या होगा।-
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अपनों के आगे सभी को, तलवार उठाने आता है।
गद्दारों को यहां, शहंशाह बनाकर रखा जाता है।
अपने घर में बाहर वालों के, राय लिए जाते हैं।
अपनों को ही दुःख देकर, यहां हाय लिए जाते हैं।
समय के साथ लोगों को, यहां पर रंग बदलते देखा है।
परिस्थितियों के आगे हमने भी, जंग टलते देखा है।
बड़े बड़े सूरमाओं के भी, क्षण में तोते उड़ गए।
जो दुश्मन हुआ करते थे, वे उन्हीं के संग में जुड़ गए।
लोगों की फितरत को, हमने भी भलीभांति जाना है।
मुखड़े के पीछे मुखड़े को, आज हमने पहचाना है।-
किसी का शाम तो, किसी का शहर हो रहा हूं मैं;
यहां, हर किसी से अब बेखबर हो रहा हूं मैं;
मुझे सुन्ने के लिए तो, शख्सियत बैठे हैं कई;
फर्क बस इतना सा है कि, किसी के लिए दवा;
तो, किसी के लिए अब ज़हर हो रहा हूं मैं।-
तेरी गली में आना जाना हमने छोड़ दिया
तुमसे मिलने का हर बहाना हमने छोड़ दिया
और तुझे दूर होना था न मेरी जान
तो देख ले, तेरी खुशी के लिए
आज ये जमाना भी हमने छोड़ दिया.!!-
कि, उसे इश्क का नाम देकर
हमने उसे ही बदनाम कर दिया
ये चार लोग पहले ही खफा थे
हमारी इस गुस्ताखी से
और हमने उसे ही सरेआम कर दिया.!!-
ख्वाहिश इतनी सी थी कि, तूं मुझे छोड़कर
किसी और को ना चाहे;
पर तुमने भी बस,
मुझे छोड़कर हर किसी को चाहा.!!-
उसकी कहानी का मैं कुछ इस कदर से किरदार हो गया
कि उसकी एक हां का मुझपे अधिकार हो गया
वो मना कर देती तो मर ही जाता मैं
कि उसके इश्क में न जाने क्या कर जाता मैं
अब तो उसके हुस्न का भी मुझपर
इस कदर से खुमार हो गया
मैं ठीक हूं ये उसे पता है
पर सच पूछो तो मैं दिल से बिमार हो गया!!!-
अगर खफा हो तो जवाब में लिख दिया करो
मेरे खत का इतना सा लिहाज रख लिया करो
क्यों पहले की तरह अब बात नही होती
कभी मिलना जरुरी हुआ करता था
पर अब किसी बहाने से भी मुलाकात नही होती
क्या तुम्हारा दिल नही करता मिलने का
फिर एक बार इन गलियों में साथ चलने का
मेरे कांधे पे फिर एक बार तुम हाथ रखती
मैं कुछ कहता उससे से पहले तू अपनी बात रखती
काश फिर से इन बादलों में वही बात होती
काश फिर से इन गलियों में वही बरशात होती.!!!-
वो शाम ही क्या जिसमे तुम्हारा जिक्र ना हो;
और वो पल,
मेरी जिंदगी का आखिरी होगा;
जिस पल, हमे तुम्हारा फिक्र ना हो..!!-
तेरी गली से गुज़रा हूआ शाम हूं मैं
तूं इंतज़ार न कर मेरे ढ़लने का
तेरे गर्दिश में तो यूं ही बदनाम हूं मैं।-