क्यों किसी को दोष दें, कि किसकी गलती है,
वक्त के आगे कहाँ किसी की चलती है..!
रखिए हौसला, कुछ देर की ही तो बात है,
रात कितनी भी हो, पर ज़रूर ढलती है..!-
I write to express myself.
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अब बड़ी हैरत से देखते हैं आने - जानेवाले,
कहाँँ गए वो परिंदे, पेड़ों पर चहचहानेवाले..!
ज्यादा लूटकर कम लौटाने की आदत है हमारी,
हम ही हैं जंगल काटकर बगीचे बनानेवाले..!-
बड़ी तेज़ी से ढल रही है उम्र रोशनी की,
और लोग उजाले की तारीफ़ में वक्त ज़ाया कर रहे हैं..!-
ये ख़्याल घमंड आने ही नहीं देता है दिमाग़ में,
कि कितना छोटा हूँ मैं इस बड़ी-सी क़ायनात में..!-
मेरी खामियाँ गिनानेवाले मेरे खिलाफ थोड़ी हैं,
गलत को गलत कहनेवालों की तारीफ होनी चाहिए..!-
कुछ पेड़ यूँ एक तरफा मोहब्बत निभाने में लग गए,
कि कट गए और चूल्हा जलाने में लग गए..!-
हम दिल की एक नादान शरारत से काफी परेशान हो जाते हैं,
कि क्यों दिल को वही फूल पसंद आता है, जिसमें काँटे हैं..!-
अक्सर फायदा उठाते हैं लोग, हमनशी बनकर,
और फिर लापता हो जाते हैं अजनबी बनकर..!
जो पहाड़ देते हैं बारिश की हर बूँद को पनाह,
वही बूँदें काटती हैं पहाड़ को, नदी बनकर..!
मेरी ज़िंदगी की रात कट जाती है आपकी दुआ से,
लोग टकरा ही जाते हैं जुगनू की रोशनी बनकर..!
न तो रईस, न ही ताकतवर बनने की ख्वाहिश है,
मैं बस जीना चाहता हूँ, एक अच्छा आदमी बनकर..!-
बड़ी जी जान से बरसात दीवार गिराने में लगी है,
गरीब की ज़िन्दगी सारी, जिसे बनाने में लगी है..!
बड़ी तंगहाली के दिन देखे हैं मेरे माँ बाप ने साहब,
क्या बताऊँ, कितनी मेहनत मुझे पढ़ाने में लगी है..!-
धर्म और चैट जीपीटी में एक दिलचस्प समानता है,
लोगों को लगता है कि,
इनके पास दुनिया के सभी सवालों के जवाब हैं..!-